विधानसौधा के सम्मेलन सभागार में पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में कर्नाटक पर्यटन नीति जारी करते हुए उन्होंने कहा कि कर्नाटक में पर्यटन क्षेत्र की अनदेखी की गई है। जबकि गोवा तथा केरल हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में पर्यटन क्षेत्र पर ध्यान देकर सैकड़ों रोजगारों का सर्जन किया गया है। प्राकृतिक संपदाओं से ओतप्रोत कर्नाटक के कई पर्यटन क्षेत्रों से देश विदेश के पर्यटक वंचित रहें है। ऐसे क्षेत्रों का परिचय दिलाने के लिए सोशल मीडिया जैसे सशक्त माध्यम का उपयोग किया जाएगा। तथा देश विदेश के प्रमुख शहरों में कर्नाटक के पर्यटन क्षेत्रों की जानकारी देने के लिए रोड शो जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
पर्यटन तथा कन्नड़ संस्कृति मंत्री सीटी रवि ने कहा कि कर्नाटक पर्यटन नीति में पर्यटन क्षेत्रों में बुनियादी ढ़ांचे के विकास के साथ-साथ स्थानीय लोगों को रोजगारों का सर्जन हो इस पर विशेष ध्यान दिया गया है। देश विदेश से यहां पर पहुंचने वाले पर्यटकों को विभिन्न भाषाओं में उस क्षेत्र की सटिक जानकारी देने के लिए टूरिस्ट गाइड्स को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। पर्यटन क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं, बेहतर सफाई व्यवस्था के साथ पर्यटकों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 में जहां 36 लाख पर्यटकों ने कर्नाटक के विभिन्न पर्यटन क्षेत्रों का दौरा किया था वही वर्ष 2018 में पर्यटकों की सं या 2 करोड़ 15 तक पहुंच गई थी। पर्यटन के क्षेत्र में कर्नाटक देश में तीसरे स्थान पर है।
इस नीति के तहत कर्नाटक को पहले स्थान पर ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।पर्यटन क्षेत्रों में पहुंचने के लिए पर्यटकों को कोई परेशानी न हो इसलिए ऐसे क्षेत्रों के लिए विभिन्न किस्म की परिवहन व्यवस्था उपलब्ध की जाएगी। इन क्षेत्रों में पर्यटकों के लिए विभिन्न किस्म के देशी तथा विदेशी व्यंजन उपलब्ध कराने पर ध्यान दिया जा रहा है। कार्यक्रम में राजस्व मंत्री आर अशोक, विधायक राजू गौडा, शिवराज पाटिल तथा कर्नाटक पर्यटन विकास निगम की अध्यक्ष श्रुति ने भाग लिया।