उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए जरूरी है कि सिवीयर एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (Severe Acute Respiratory Infection – एसएआरआइ) और इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस यानी आइएलआइ (Influenza-like illness ) के मरीजों की सबसे पहले कोविड जांच हो और 24 घंटे में रिपोर्ट उपलब्ध हो। रिपोर्ट आने के 5-6 घंटे में मरीज को इसकी जानकारी मिल जानी चाहिए। इसके लिए एक वॉर रूम स्थापित करने की जरूरत है।
डॉ. सुधाकर ने बताया कि हासन में कोविड के करीब 15 हजार एक्टिव मामले हैं। इनमें से दो हजार मरीजों का ही उपचार जारी है। शेष गृह देखभाल में हैं। ऐसे लोगों के स्वास्थ्य पर भी निगरानी बरतने की जरूरत है। बूथ स्तर पर 10 लोगों की टीम घर-घर जा क मुआयना कर सकती है। मरीज के ऑक्सीजन स्तर की जांच जरूरी है। घर में आइसोलेशन की सुविधा नहीं होने पर कोविड देखभाल केंद्र में जगह मिलेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा तय उपचार शुल्क से ज्यादा वसूलने वाले अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। लाइसेंस तक रद्द हो सकता है। रेमडेसिविर इंजेक्शन से जुड़ी शिकायतों की जांच होनी चाहिए।
निजी अस्पतालों को चाहिए कि अस्पताल के पास होटलों में स्टेप डॉउन अस्पताल स्थापित करें। सेवानिवृत्त चिकित्सकों की मदद से टेलीमेडिसिन सुविधा भी उपलब्ध होगी। उपलब्ध होते ही जिलों को ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर उपलब्ध कराए जाएंगे।