कर्नाटक की राजनीति : देवगौड़ा के नए दांव से भाजपा परेशान, आखिर क्या है मामला?
देवगौड़ा ने कहा कि कांग्रेस से दुबारा गठजोड़ के लिए जद-एस का दरवाजा खुला है। देवगौड़ा ने भविष्य में भाजपा के साथ राजनीतिक गठजोड़ की संभावना को खारिज कर दिया
बेंगलूरु. पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। उनके राजनीतिक दांव का अंदाजा लगाना घाघ माने जाने वाले नेताओं के लिए भी आसान नहीं है। देवगौड़ा अक्सर अपने सियासी दांव से विरोधियों को पटखनी देते रहते हैं। देवगौड़ा की पार्टी जद-एस का राज्य में सीमित राजनीतिक वजूद है लेकिन देवगौड़ा और उनके बेटे एच डी कुमारस्वामी सत्ता की राजनीति की धुरी बने रहते हैं। देवगौड़ा और उनकी पार्टी से कांग्रेस और जद-एस से समान दूरी की बात करते हैं लेकिन पूर्व में दोनों पार्टियों के साथ जद-एस गठबंधन सरकार भी चला चुकी है। देवगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी दो बार मुख्यमंत्री बने और उन्हें दोनों बार सत्ता भाजपा और कांग्रेस के समर्थन से मिली लेकिन दोनों बार मतभेदों के कारण सरकार का पतन हो गया।
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर होने के बावजूद भी जद-एस को सत्ता दिलाने में देवगौड़ा की भूमिका कम नहीं रही थी। देवगौड़ाप के दांव के कारण ही कुमारस्वामी दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि, जुलाई में कांग्रेस और जद-एस के 17 विधायकों के बगावत के कारण कुमारस्वामी सरकार गिर गई। इस बागवत के पीछे भाजपा का ऑपरेशन कमल को ही कारक था।
तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच पिछले एक महीने से कुमारस्वामी और देवगौड़ा निरंतर भाजपा के प्रति नरम रूख अपना रहे थे। कांग्रेस, खासकर विपक्ष के नेता सिद्धरामय्या से नाराज कुमारस्वामी ने तो यहां तक कह दिया था कि वे बी एस येडियूरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को गिरने नहीं देंगे। कुमारस्वामी ने कहा था कि भाजपा सरकार के गिरने या उसे बचाने की कुंजी उनके पास है और वे कांग्रेस के मध्यावधि चुनाव कराने की मंशा को पूरी नहीं होने देंगे। कुमारस्वामी ने दिसम्बर में होने वाले विधानसभा उपचुनावों के बाद जरुरत पडऩे पर भाजपा सरकार को समर्थन देने की बात भी कही थी। देवगौड़ा ने भी कुमारस्वामी के बयान का समर्थन करते हुए कहा था कि वे चाहते हैं कि येडियूरप्पा सरकार कार्यकाल पूरा करे। कुमारस्वामी और देवगौड़ा के इस बयान को भाजपा की ओर बढ़ते झुकाव के तौर पर देखा जा रहा था। विश्लेषकों का भी मानना था कि जद-एस के नरम रूख से भाजपा को थोड़ी राहत मिली है। लेकिन, अब देवगौड़ा के रूख में आए बदलाव से भाजपा भी हैरान है।
मेंगलूरु के दौरे पर गए देवगौड़ा ने शनिवार कहा कि कांग्रेस से दुबारा गठजोड़ के लिए जद-एस का दरवाजा खुला है। देवगौड़ा ने भविष्य में भाजपा के साथ राजनीतिक गठजोड़ की संभावना को खारिज कर दिया लेकिन 5 दिसम्बर को होने वाले उपचुनाव के बाद एक बार फिर से कांग्रेस के साथ गठबंधन का संकेत दिया। संवाददाताओं से बातचीत में देवगौड़ा ने कहा कि यह उपचुनावों के परिणाम आने के बाद कांग्रेस आलाकमान के रूख और दोनों पार्टियों के संख्या बल पर निर्भर करेगा। देवगौड़ा ने कहा कि कोई भी पार्टी जद-एस के बिना सरकार बनाने या चलाने में सक्षम नहीं है। यह पूछे जाने पर कि अगर भाजपा उपचुनाव में पर्याप्त सीट नहीं जीत पाई तो उनकी पार्टी का रूख क्या होगा, देवगौड़ा ने कहा कि हमें देखना पड़ेगा कि कांग्रेस आलाकमान क्या निर्णय करता है।
Home / Bangalore / कर्नाटक की राजनीति : देवगौड़ा के नए दांव से भाजपा परेशान, आखिर क्या है मामला?