बल्लारी स्थित विजयनगर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस के निदेशक डॉ. बी. देवानंद ने बताया कि एक शव को दफनाने या जलाने पर 20-22 हजार रुपए खर्च होते हैं। शव को कीटाणुरहित करने से लेकर दफनाने या जलाने के बीच कई पहलुओं का ध्यान रखना पड़ता है।
बेलगावी में शवों के अंतिम संस्कार समिति के प्रमुख अशोक शेट्टी के अनुसार शव को सोडियम हाइपोक्लोराइट घोल से कीटाणुरहित करने के बाद बॉडी बैग में बंद किया जाता है। शव को दफनाने या जलाने में अतिरिक्त खर्चे भी हैं। डॉ. देवानंद के अनुसार ग्रुप डी कर्मचारी शवों को श्मशान तक पहुंचाते हैं। लेकिन संक्रमण का डर उन्हें भी रहता है। कर्मचारी अब ये काम नहीं करना चाहते हैं इसलिए निकट भविष्य में समस्या हो सकती है।
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के अनुसार बेंगलूरु में हर शव के दाह संस्कार पर 20-25 हजार रुपए खर्च होते हैं। ट्रिपल लेयर पीपीइ किट में शव को कसने के बाद पीपीइ किट पहने छह सदस्यीय टीम शव को विशेष वैन में ले जाती हैं। ट्रिपल लेयर पीपीइ किट पर ही करीब 15 हजार रुपए खर्च हो जाते हैं।
कलबुर्गी जिलाधिकारी शरत बी. ने बताया कि जिला प्रशासन हर शव पर 10- 12 हजार रुपए खर्च कर रहा है। थोक बाजार में एक पीपीइ किट की कीमत 12-15 सौ रुपए है। जेसीबी ऑपरेटर्स हजार रुपए प्रति घंटे के हिसाब से चार्ज करते हैं। ईंधन पर भी खर्च होता है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार बेंगलूरु व अन्य शहरों में आम तौर पर शवों को जलाने पर जोर है। परिजनों को आपत्ति होने पर शव को दफनाते भी हैं। शव को पैक करने से लेकर जलाने या दफनाने तक में शामिल कर्मचारियों व एम्बुलेंस चालक को पांच-पांच हजार रुपए दिए जाते हैं क्योंकि जान जोखिम में डालकर वे यह काम कर रहे हैं। कई मामलों में परिजन शव को दफनाना चाहते हैं। ऐसे मामलों में जमीन में 10 फीट गहरा गड्ढा खोद शव को दफना दिया जाता है।