नोडल अधिकारी (लैब व जांच) डॉ. सी. एन. मंजुनाथ ने बताया कि कर्नाटक राज्य ड्रग्स लॉजिस्टिक्स व वेयरहाउसिंग सोसाइटी जल्द ही 30 लाख आरएटी किट के लिए ऑर्डर देगी। मौजूदा स्थिति में किट की कमी है। इसलिए किट जल्द से जल्द खरीदे जाएंगे। राज्य में जांच पॉजिटिविटी दर (टीपीआर) औसतन 21 फीसदी है। टीपीआर के ज्यादा होने पर आरएटी की भूमिका बढ़ जाती है। इससे मरीजों की समय रहते पहचान होगी। महामारी नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
नोडल अधिकारी जेनेटिक सीक्वेंसिंग (आनुवांशिक अनुक्रमण) डॉ. वी. रवि ने बताया कि लक्षण वाले मरीजों से संक्रमण फैल रहा है। समय रहते इनकी पहचान कर इन्हें आइसोलेट करना जरूरी है। आएटी से मदद मिलेगी। भारत में गत वर्ष जून से आरएटी जांच चलन में है। 15-30 मिनट में रिपोर्ट आने के बावजूद इसकी प्रभावशीलता आरटी-पीसीआर से कम है। कंटेनमेंट जोन व स्वास्थ्य देखभाल इकाइयों तक ही आरएटी समिति है।
डॉ. रवि ने बताया कि कोविड के करीब 80 फीसदी मरीजों में हल्के लक्षण सामने आ रहे हैं। इसके कारण पीडि़त संक्रमण को गंभीरता से नहीं लेता है। मजबूत शरीरिक प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में लक्षण हल्के होते हैं। ऐसे लोगों की जांच में आरएटी जांच बेहद काम आएगी।