scriptआचरण के अभाव में ज्ञान काम का नहीं : डॉ. समकित मुनि | Knowledge is not useful in the absence of conduct: Dr. Samkit Muni | Patrika News
बैंगलोर

आचरण के अभाव में ज्ञान काम का नहीं : डॉ. समकित मुनि

शूले जैन स्थानक में प्रवचन

बैंगलोरSep 21, 2020 / 09:33 pm

Santosh kumar Pandey

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बेंगलूरु. अशोक नगर शूले जैन स्थानक में समकित की यात्रा के अंतर्गत केशी- गौतम के अध्ययन पर प्रवचन सुनाते हुए डॉ. समकित मुनि ने कहा कि प्रभु पाश्र्वनाथ लोक के प्रदीप हैं। प्रदीप प्रकाश तो फैलाता है परंतु उसका प्रकाश सीमित होता है। परमात्मा के ज्ञान का प्रकाश असीमित होता है। परमात्मा ऐसे दीपक होते हैं जिनको न बाती की जरूरत होती है और ना ही तेल की, उनके प्रकाश से किसी प्रकार का धुआं भी नहीं होता। कितना भी आंधी तूफान आने पर परमात्मा के ज्ञान का दीपक कभी बुझता नहीं। परमात्मा स्वयं बुद्ध होते हैं।
ऐसे ही परमात्मा प्रभु पाश्र्वनाथ के महायशस्वी शिष्य थे। केशी श्रमण ज्ञान और चरित्र के पारगामी थे। वह तीन ज्ञान के धारी थे।
चेलना की कथा सुनाते हुए मुनि ने कहा कि यह एक रिश्तों की अद्भुत कहानी है। घर को घर नहीं बल्कि उसे कर्म खत्म करने की दुकान समझो। कर्म तब खत्म होते हैं जब हमारा प्रयास रिश्तों को सुधारने में होता है।
घर के जितने भी रिश्ते हंै वह असली सच्चाई नहीं है। शाश्वत सत्य यह है कि सामने वाला अलग है, मैं अलग हूं। अपेक्षाएं तब तक कम नहीं होती जब तक हम संबंधों की सच्चाई समझ लेते हैं। मां बच्चे को अमृत पिलाती है परंतु बच्चे की जिंदगी का जहर दूर करने की ताकत पिता में होती है।
प्रेम कुमार कोठारी ने बताया कि इस मौके पर मोहनलाल चोपड़ा, महावीर चंद चोपड़ा, अरविंद कोठारी, सुरेश कोठारी, गणपत राज रूणवाल आदि उपस्थित थे। संचालन संघ मंत्री मनोहर लाल बंब ने किया।

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