ऐसे ही परमात्मा प्रभु पाश्र्वनाथ के महायशस्वी शिष्य थे। केशी श्रमण ज्ञान और चरित्र के पारगामी थे। वह तीन ज्ञान के धारी थे।
चेलना की कथा सुनाते हुए मुनि ने कहा कि यह एक रिश्तों की अद्भुत कहानी है। घर को घर नहीं बल्कि उसे कर्म खत्म करने की दुकान समझो। कर्म तब खत्म होते हैं जब हमारा प्रयास रिश्तों को सुधारने में होता है।
चेलना की कथा सुनाते हुए मुनि ने कहा कि यह एक रिश्तों की अद्भुत कहानी है। घर को घर नहीं बल्कि उसे कर्म खत्म करने की दुकान समझो। कर्म तब खत्म होते हैं जब हमारा प्रयास रिश्तों को सुधारने में होता है।
घर के जितने भी रिश्ते हंै वह असली सच्चाई नहीं है। शाश्वत सत्य यह है कि सामने वाला अलग है, मैं अलग हूं। अपेक्षाएं तब तक कम नहीं होती जब तक हम संबंधों की सच्चाई समझ लेते हैं। मां बच्चे को अमृत पिलाती है परंतु बच्चे की जिंदगी का जहर दूर करने की ताकत पिता में होती है।
प्रेम कुमार कोठारी ने बताया कि इस मौके पर मोहनलाल चोपड़ा, महावीर चंद चोपड़ा, अरविंद कोठारी, सुरेश कोठारी, गणपत राज रूणवाल आदि उपस्थित थे। संचालन संघ मंत्री मनोहर लाल बंब ने किया।