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बैंगलोर

इंसान और जंगली हाथियों की रणभूमि में तब्दील कोडुगू !!!

समाधान खोजने में जुटा वन विभा
लोगों को समझाइश दे रहा वन आमलोग

बैंगलोरMay 22, 2019 / 09:25 pm

Rajendra Vyas

elephants

इंसान और जंगली हाथियों की रणभूमि में तब्दील कोडुगू !!!

बेंगलूरु. विभिन्न योजनाओं के बावजूद हाथी और मनुष्यों के बीच संघर्ष वन विभाग के लिए चुनौती साबित हो रही है। प्रदेश के घने जंगलों से सटे हासन, चामराजनगर, सकलेशपुर, तीर्थहल्ली और विशेषकर कोडुगू में हाथियों का उत्पात बढ़ा है।
जंगलों में भोजन और पानी की कमी के कारण हाथी वन क्षेत्र के आसपास स्थित आवासीय क्षेत्रों और खेतों में घुसने पर मजबूर हो गए हैं। हाल ही में हुई गणना के मुताबिक राज्य में हाथियों की संख्या 6 हजार से ज्यादा है। कई बार भीड़ के साथ शोरगुल करके इन जंगली हाथियों को जंगल की ओर खदेडऩे के दौरान क्रोधित वन प्राणियों से जनहानि की भी घटना हो रही है। इस खतरे से ग्रामीणों को सतर्क करने के लिए वन अमला गांव-गांव पहुंच कर लोगों को समझाइश भी दे रहे है। लेकिन इस विकराल समस्या का आज तक स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है। गत वर्ष बारिश, बाढ़, भूस्खलन से कोडुगू में मची तबाही के बाद हाथियों की समस्या से राहत मिली थी, लेकिन हाथी लौट आए हैं।
कावेरी नदी पार कर पहुंच जाते हैं गांव
ग्रामीणों का कहना है कि हाथी खाई को पार करने में सक्षम नहीं हैं। पर अपनी बुद्धिमता का परिचय देते हुए हाथियों ने रास्ता निकाल लिया है। कावेरी नदी पार कर वे गांव में प्रवेश कर रहे हैं। समस्या इतनी बढ़ गई है कि हाथी कॉफी के बागानों में ठहरने लगे हैं। कॉफी बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार आम तौर पर जल और ठंडे वातावरण से आकर्षित होकर हाथी कॉफी बागानों में घुस आते हैं, लेकिन एक अच्छी बात है कि वे कॉफी के फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
सरकारी योजनाओं को अपेक्षानुसार सफलता नहीं
कूर्ग वन्यजीव सोसायटी के अध्यक्ष केसी बिदप्पा ने बताया कि खानपान की आदतों में बदलाव, फलों की उपलब्धता, छाया, ठंडक और पानी की तलाश में हाथी भटकने पर मजबूर हैं। सरकारी योजनाओं से अपेक्षानुसार सफलता नहीं मिल रही है। हाथियों की आवाजाही वाले मार्ग के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को हर समय खतरों से जूझना पड़ रहा है। समय आ गया है कि वन विभाग समस्या को गंभीरता से ले। उच्च स्तरीय समिति का गठन करे। वरिष्ठ वन अधिकारी, वन्यजीव विशेषज्ञ, सेवानिवृत्त वन अधिकारी और प्रधान मुख्य वन संरक्षक को इसमें शामिल किया जाए। वन्यजीव कार्यकर्ता जोशफ हूवर का कहना है जंगल और इसके आसपास के इलाके इंसानों और जानवरों की रणभूमि में तब्दील हो चुके हैं। दोनों अपने-अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। आबादी बढ़ रही है। इसके साथ लोगों की जरूरतें भी बढ़ी हैं। जंगल में अतिक्रमण बढ़ा है। जंगल की पूरी संरचना प्रभावित हो रही है। इंसान खुद इस समस्या का जिम्मेदार है। कोडुगू में बारिश के बावजूद झील, कुआं और अन्य जलस्रोतों में पर्याप्त जल नहीं है। जंगल में आहार की कमी है। जंगल के अंदर बांस और कटहल के पेड़ लगाए जाएं और पानी की व्यवस्था की जाए तो समस्या का समाधान संभव है।
मिलकर करना होगा काम
मुख्य वन संरक्षक संतोष कुमार ने बताया कि हाथियों को मानव बस्तियों में घुसने से रोकने के लिए वन विभाग ने कोडुगू में सोलर बोर्ड और रेल ट्रैक बाड़ लगाए हैं। जगह-जगह पर हाथी प्रूफ खाई बनाई गई हैं। रैपिड रेस्पॉन्स टीम का गठन हुआ है। बावजूद इसके अन्य वन्यजीवों सहित प्रदेश भर में हाथी और मनुष्यों के बीच संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसे रोकने के लिए कई विभागों को मिलकर काम करना होगा।

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