बेंगलूरु. पिछले चार दिन से राज्य में चल रहे सियासी उठापटक का पटाक्षेप जल्द होता नजर नहीं आ रहा है। 6 जुलाई को 12 विधायकों द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद मंगलवार को विधानसभा
speaker केआर रमेश कुमार ने उन पर विचार किया। उन्होंने 8 विधायकों का
resignation यह कह कर स्वीकार करने से मना कर दिया कि वह तय प्रारूप में नहीं है।
रमेश कुमार ने कहा कि उनका कार्यालय 13 में से सिर्फ उन पांच इस्तीफों पर ही अपनी प्रक्रिया शुरू कर पाएगा जो तय फार्मेट में है। उन्हें इस बात के लिए यकीन करना होगा कि विधायकों ने जो इस्तीफे दिए हैं वह ‘स्वैच्छिक’ और ‘वास्तविक’ हैं। अगर बाकी के आठ अपने रुख पर कायम रहते हैं तो उन्हें निर्धारित नियम के अनुसार दोबारा अपना इस्तीफा देना होगा। इसके अलावा, आठ अन्य को Vidhan Sabha के नियमों के मुताबिक अपना इस्तीफे का पत्र फिर से तैयार करना होगा। कुमार ने आगे बताया कि उन्हें 14 वां पत्र मिलना अभी बाकी है जो सुबह
Congress के निलंबित विधायक रोशन बेग ने दिया है।
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि जिन पांच विधायकों ने सही
format में इस्तीफा दिया है, उनमें कांग्रेस के पूर्व गृह मंत्री रामलिंगा रेड्डी, विजय नगर (बल्लारी) के आनंद सिंह और मस्की के प्रताप गौड़ा पाटिल जबकि जद-एस के महालक्ष्मी ले आउट विधायक के.गोपालय्या और केआरपेट के नारायण गौड़ा शामिल हैं। स्पीकर रमेश कुमार ने पांचों विधायकों को 12 और 15 जुलाई को बुलाया है। वे 12 जुलाई को 3 बजे आनंद सिंह और नारायण गौड़ा, जबकि 4 बजे प्रताप गौड़ा पाटिल से मिलेंगे। 15 जुलाई को गोपालय्या और Ramalinga Reddy से मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल वजूभाई वाळा ने उन्हें
political गतिविधियों पर दो पत्र भेजे थे। राज्यपाल ने उनसे कहा कि विधायकों ने इस्तीफे स्वेच्छा से दिए हैं लेकिन, रमेश कुमार ने उन्हें यह स्पष्ट किया कि कोई भी बागी विधायक उनसे व्यक्तिगत तौर पर नहीं मिला है। राज्यपाल ने उम्मीद जताई कि स्पीकर
constitutional मर्यादाओं के तहत फैसला करेंगे। स्पीकर ने राज्यपाल से कहा कि वे संवैधानिक मर्यादाओं के साथ प्रदेश की जनता का भी ख्याल रखेंगे जो सियासी संकट को लेकर सदमे में है। स्पीकर ने संवाददाताओं से कहा कि वे निश्चित रूप से विधायकों की तरफ से किए गए इस्तीफे पर फैसला लेंगे। लेकिन, संविधान या
rule में समय सीमा को लेकर कोई प्रावधान नहीं है।
वे विधायक जिनके इस्तीफे तय प्रारूप में नहींरमेश जारकीहोली, महेश कुमटहल्ली, बी.सी. पाटिल, ए.एच. विश्वनाथ, एस.टी. सोमशेखर, बैरती बसवराज, शिवराम हेब्बार और मुनिरत्ना नायडू।
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