जिले में खजूर बुवाई आठ साल पहले शुरू हो गई थी। तीन साल बाद इसके परिणाम आने लगे और खजूर की यहां अच्छी पैदावार होने लगी तो किसानों में इसका रुझान बढ़ा। पिछले साल तक 75 हैक्टेयर में किसानों ने खजूर की बुवाई कर दी और इस साल एक साथ 30 फाइलें आई हैं। जिसमें बीस हैक्टेयर में खजूर बोने को किसान तैयार हुए हैं, लेकिन कृषि महकमा इनको पौध उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है। विभाग का कहना है कि राज्य स्तर पर ही उपलब्ध नहीं है। एेसे में किसान महीनों से चक्कर काट रहे हैं। बुवाई का वक्त निकलने के साथ कइयों को इरादा बदलना पड़ रहा है। खजूर की बुवाई होने के तीन साल तक तो फसल के लिए इंतजार ही करना पड़ेगा। किसानों का कहना है कि एक साल इस प्रक्रिया में खराब होता है तो उनका प्रोजेक्ट एक साल आगे खिसक जाएगा जो घाटे का सौदा होगा। राज्य सरकार शीघ्र ही उन्हें खजूर उपलब्ध नहीं करवाती है तो उनके लिए खजूर की बुवाई सपना बन जाएगी।
अब 2250 है हिस्सा राशि पहले राज्य सरकार एक पौधे पर नब्बे प्रतिशत छूट देती थी। अब यह 75 प्रतिशत कर दी गई है। एक पौधे के लिए अब 2250 रुपए हिस्सा राशि देनी होती है। किसानों ने हिस्सा राशि के लिए भी स्वीकृति दे दी है। एेेसे में उनके लिए हजारों रुपए का प्रोजेक्ट इस इंतजार में है कि राज्य सरकार उनको पौधे उपलब्ध करवाए।
156 पौधे लगेंगे एक हैक्टेयर में एक हैक्टेयर में 156 पौधों की बुवाई की जाती है। इस हिसाब से बीस हैक्टेयर में 3120 पौधे ही चाहिए लेकिन यह पौधे भी उपलब्ध नहीं हो रहे हैं।
खजूर की योजना प्रभावित इस साल बीस हैक्टेयर बुवाई होती तो करीब 95 हैक्टेयर का आंकड़ा प्राप्त कर लिया जाता जो आने वाले साल के लक्ष्य को भी बढ़ा सकता है लेकिन यह एक साल का ब्रेक रेगिस्तान में खजूर की खेती को भी प्रभावित करेगा।
फैक्ट फाइल 30 किसानों ने खजूर बुवाई के लिए सरकार से मांगे पौधे 20 हैक्टेयर जमीन पर करना चाहते हैं खजूर की खेती 75 हैक्टेयर में किसानों ने खजूर की बुवाई की पिछले साल तक
90 प्रतिशत छूट देती थी पहले राज्य सरकार एक पौधे पर 75 प्रतिशत ही है अब यह छूट प्रभावित होगी बुवाई जनवरी तक बुवाई का समय है लेकिन अब तक पौधे नहीं आए हैं। इनको तैयार करने में समय लगता है। इस साल की बुवाई तो प्रभावित होनी ही है।- डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि वैज्ञानिक
नहीं मिले पौधे खजूर के पौधे नहीं मिले हैं। यह उच्च स्तर का मामला है। हमने इसकी मांग भेजी हुई है। जब आएंगे तो उपलब्ध करवा दिए जाएंगे।- कजोड़मल कुमावत, सहायक निदेशक, उद्यानिकी