कुमारस्वामी ने कहा कि ‘मैंने सभी विधायकों और यहां तक कि निगम अध्यक्षों को भी पूरी आजादी दी थी, लेकिन वे मुझे ही दोष दे रहे हैं। अब मुझे क्यों दोष दे रहे हैं। पिछले 14 महीनों से मैंने इन विधायकों और अपने गठबंधन के सहयोगी (कांग्रेस) के लिए एक गुलाम की तरह काम किया है। क्यों वे आरोप लगा रहे मुझे नहीं पता।
कुमारस्वामी ने कहा कि कांग्रेस के कई नेता ऐसे थे, जो गठबंधन सरकार के पक्ष में नहीं थे। लेकिन, चुनाव में बहुमत नहीं मिलने के बाद कांग्रेस ने गठबंधन की सरकार बनाने की बात कही, जिसे पार्टी ने स्वीकार कर लिया।
सरकार गठन के लिए कांग्रेस नेतृत्व पूरे मनोयोग से सामने आया, लेकिन प्रदेश के कुछ नेता इसके पक्ष में नहीं थे। सरकार गठन के पहले ही दिन से कांग्रेस नेताओं के एक वर्ग ने जिस तरह का बर्ताव किया, उसे हर कोई जानता है। उनकी पार्टी के भी कुछ नेता कांग्रेस से हाथ मिलाने को लेकर नाराज थे।
लेकिन, उन्होंने कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाई। उनकी पार्टी के नेता खुश नहीं थे, उन्हें मालूम था कि धोखा मिलेगा। वे पीठ में छुरा घोंपने का काम करेंगे। उन्होंने अपनी पार्टी के विधायकों की तुलेना में कांग्रेस पार्टी के विधायकों के क्षेत्र के विकास के लिए अधिक धन प्रदान किया। फिर भी कांग्रेस के विधायक बिना पूर्व अनुमति के आते थे। वे उनसे फिर भी मिलते थे।
उनका जो भी आग्रह होता था उसपर वे तुरंत निर्णय करते थे। पिछली कांग्रेस सरकारों ने जो उपलब्धि हासिल नहीं की, उसे उन्होंने 14 महीनों में हासिल किया। कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र के लिए 19 हजार करोड़ रुपए से अधिक आवंटित किए।
अब खुश हूं
अब मुख्यमंत्री का पद छोडऩे के बाद वे काफी खुश हैं। उनके मन में इस बात को लेकर तकलीफ है कि पिछले 14 महीने के दौरान उन्होंने राज्य के विकास के लिए जो काम किया, किसी ने भी उसके लिए सराहना नहीं की।
अब वे भविष्य में कांग्रेस के साथ सरकार बनाने को लेकर इच्छुक नहीं हैं। अधिकांश पार्टी कार्यकर्ता अब गठबंधन के पक्षधर नहीं हैं। लेकिन, कांग्रेस आलाकमान का रुख अभी भी काफी सहयोगात्मक है। अब देखिए आगे क्या होता है।