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बैंगलोर

बीयू बना सौर ऊर्जा से पूर्ण रूप से संचालित प्रदेश का पहला विवि

सालाना 1.5 करोड़ रुपए की बचत
यूवीसीइ में भी सौर पैनल स्थापित करने की योजना
वर्षा जल संचयन योजना पर भी काम

बैंगलोरOct 25, 2018 / 04:31 pm

Ram Naresh Gautam

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बीयू बना सौर ऊर्जा से पूर्ण रूप से संचालित प्रदेश का पहला विवि

बेंगलूरु. बेंगलूरु विश्वविद्यालय (बीयू) परी तरह सौर ऊर्जा से संचालित प्रदेश का पहला विवि बन गया है। इतना ही नहीं बीयू बिजली की अपनी जरूरतें पूरी कर ही रहा है, बल्कि अतिरिक्त बिजली भी बना रहा है। अतिरिक्त बिजली बेंगलूरु विद्युत आपूर्ति कंपनी लिमिटेड को दिया जाएगा या फिर बीयू इसका इस्तेमाल अन्य कामों में कर सकता है।
बीयू के कुलपति प्रो. वेणुगोपाल के.आर. ने बताया कि सौर ऊर्जा का इस्तमाल कर बीयू हर सात करीब 1.5 करोड़ रुपए की बचत कर सकेगा। बीयू परिसर के तापमान में करीब 0.5 डिग्री सेल्सियस तक गिरावट का अनुमान भी है।
करार के बाद एक निजी कंपनी ने बीयू के छह भवनों की छतों पर सोलर पैनल लगाया है। इस संयंत्र को लगाने का खर्च कंपनी ने स्वयं वहन किया है। बीयू इसके लिए कंपनी को प्रति यूनिट की रियायती दर से भुगतान करेगा।
वो भी भारत सौर ऊर्जा निगम समिति की ओर से तय कीमत के अनुसार। प्रो. वेणुगोपाल ने बताया कि के.आर. चौराहा स्थित यूनिवर्सिर्टी विश्वेश्वरैय्या कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (यूवीसीइ) में भी सौर पैनल स्थापित करने की योजना है। वर्षा जल संचयन योजना पर भी बीयू काम कर रहा है।
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प्रीयू कॉलेजों में आसान नहीं मनोविज्ञान की पढ़ाई
शिक्षकों की भारी कमी, विद्यार्थी परेशान
बेंगलूरु. प्रदेश के सरकारी व अनुदानित प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में मनोविज्ञान की पढ़ाई आसान नहीं है क्योंकि कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है।
विद्यार्थियों का कहना है कि मनोवैज्ञानिकों की बढ़ती मांग को देखते हुए वे मनोविज्ञान में अपना भविष्य बनाने चाहते हैं।
इसलिए पीयूसी स्तर पर ही उन्होंने मनोविज्ञान विषय को भी चुना। लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण उनकी पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। समय पर पाठ्यक्रम भी पूरा नहीं हो पाता है। कई विद्यार्थी निजी कोचिंग केंद्रों में जाने पर मजबूर हैं। प्री-यूनिवर्सिटी शिक्षा बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के कॉलेजों में मनोविज्ञान के केवल आठ शिक्षक हैं। जबकि विद्यार्थियों की संख्या 379 है। इनमें से 348 विद्यार्थी द्वितीय पीयूसी में हैं।
प्री-यूनिवर्सिटी शिक्षा विभाग के अधिकारी के अनुसार शिक्षकों की भर्ती को लेकर बोर्ड उदासीन है। मनोविज्ञान विषय को बढ़ावा देने की दिशा में भी बोर्ड ने ठोस कदम नहीं उठाया है। बीयू में मनोविज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. अशोक एच.एस. के अनुसार तनाव व अन्य मानसिक व पारिवारिक समस्यों के बढऩे के कारण मनोवैज्ञानिकों की मांग बढ़ी है।
मनोविज्ञान की बढ़ती मांग का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बेंगलूरु विवि के विभाजन के बावजूद मनोविज्ञान की सभी सीटों पर दाखिला हो चुका है। अतिरिक्त विद्यार्थी भी मनोविज्ञान की पढ़ाई कर सकें, इसके लिए बीयू तुमकूरु के अपने कैंपस में मनोविज्ञान विषय के लिए अतिरिक्त विभाग स्थापित करने पर भी गंभीरता के साथ विचार कर रहा है।

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