शहर में चौड़ी और चमकदार सड़कों पर फर्राटा भरते वाहन तो दिख जाएंगे, अश्विन महेश[typography_font:8pt;” >(शहरी योजनाकार एवं राज्य सरकार के पूर्व सलाहकार)राज्य सरकार ने वर्ष 2019-20 के बजट में मोबिलिटी प्लान की घोषणा की है। इसके तहत परिवहन के सभी माध्यमों को ध्यान में रखकर एक समग्र और प्रभावकारी योजना तैयार की जा रही है। उदाहरण के तौर पर बस, मेट्रो, निजी वाहन, साइकिल या पैदल चलने वालों की जरूरत को ध्यान में रखकर सड़कों के विकास और उनके बीच नेटवर्किंग की एक बहुआयामी योजना तैयार होगी। दिक्कत यह है कि कुछ लोगों को सड़क के बारे में जानकारी है तो कुछ निर्माण क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं। लेकिन, जब तक सभी माध्यमों की जरूरतों के बारे में पर्याप्त आंकड़े और जानकारियां एकत्र नहीं होती तब तक एक समग्र योजना तैयार नहीं हो पाएगी। खासकर पैदलयात्रियों के लिए जो आंकड़े होने चाहिए वे सरकार के पास नहीं है। हमारी योजना है कि शहर की कम से कम 200 सड़कों को पैदल यात्रियों के चलने लायक बनाया जाए। साथ ही इनका एक नेटवर्क तैयार करना होगा। इसके लिए किस सड़क में सुधार किया जाना है या किस सड़क को कहां जोडऩा है अथवा लोग कौन-कौन सी सड़कों को पैदलयात्रियों के लायक बनाने के लिए सुधार चाहते हैं, इसके लिए आंकड़े एकत्र किए जा रहे हैं। पूरे शहर से आंकड़े जुटाने के बाद उन्हें सरकार को सौंपा जाएगा। इसके लिए लोगों से भी पूछा जा रहा है कि अगर उनके इलाके में किन्हीं चार सड़कों को पैदलयात्रियों के योग्य बनाना है तो कौन-कौन सी सड़क चुनेंगे। लोगों के सुझाव के आधार पर मुख्य सड़कों को प्राथमिकता मिलेगी। पूरे शहर से तमाम आंकड़े जुटाने के बाद लगभग 400 सड़कों को पैदलयात्रियों के योग्य बनाने का सुझाव सरकार को दिया जाएगा। अगर हर वर्ष सरकार 50 सड़कों को भी राहगीरों के लिए दुरुस्त कराए तो अगले कुछ वर्षों में यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। तब शहर चलने लायक हो जाएगा। चलने लायक का तात्पर्य फुटपाथ में सुरक्षा और निरंतरता से है। सड़क का लेवल बराबर हो ताकि आदमी आंखें बंद कर भी चले तो समस्या न हो। फुटपाथ पर रैम्प नहीं हो, वायर भीतर हों और उसका एक नेटवर्क भी हो। अब तक 100 से अधिक ऐसी सड़कों की सूची तैयार की जा चुकी है। लोग लगातार अपने सुझाव दे रहे हैं वहीं खुद भी लोगों से पूछकर इस बारे में जानकारी ले रहे हैं। शहर में समस्याएं काफी हैं लेकिन ऐसे लोगों की जरूरत है तो इन समस्याओं के समाधान के लिए आगे आएं। घर में बैठकर समस्याओं पर मंथन करने के बजाय उनके समाधान के लिए आगे आएं तो कई समस्याएं खुद-ब-खुद खत्म हो जाएंगी। ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।