सुखी सुख बांटता है। दु:खी दु:ख बांटता है। ज्ञानी, ज्ञान बांटता है। भ्रमित, भ्रम बांटता है। भयभीत, भय बांटता है। आपको जीवन से जो कुछ भी मिले उसे पचाना सीखो, क्योंकि भोजन न पचने पर रोग बढ़ते हैं। पैसा न पचने पर दिखावा बढ़ता है।
बात न पचने पर चुगली बढ़ती है। प्रशंसा न पचने पर अंहकार बढ़ता है। निंदा न पचने पर दुश्मनी बढ़ती है। राज़ न पचने पर खतरा बढ़ता है। दु:ख न पचने पर निराशा बढ़ती है और सुख न पचने पर पाप बढ़ता है।