प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशक उत्तर कर्नाटक के बेलगावी, गदग, बागलकोट तथा धारवाड़ व आसपास के गांवों के लोगों की पेयजल की जरूरतों को पूरा करने के लिए मलप्रभा नदी में पानी का बहाव बढ़ाने की जरूरत है। लिहाजा महादयी नदी से कलसा-बंडूरी परियोजना के जरिए 7.56 टीएमसी पानी राज्य को दिया जाना चाहिए।
कन्नड़ साहित्य परिषद के अध्यक्ष मनु बलिगार ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा पेयजल उपलब्ध नहीं करवाने के कारण मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय जल नीति में भी सभी को पेयजल उपलब्ध करवाने का उल्लेख किया गया है। महादयी नदी का पानी गोवा राज्य से होकर अरब सागर में व्यर्थ बहकर चला जाता है। लिहाजा गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर को पेयजल के मसले पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।
बलिगार ने कहा कि हमारे कन्नड़ महासंघ में नौ से अधिक संगठन शामिल हैं। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों के हस्ताक्षरों को लेकर राज्यपाल के जरिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास ज्ञापन भेजा जाएगा।
वरिष्ठ साहित्यकार दौड्ड रंगेगौड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मन की बात कहना छोडक़र महादयी की बात करनी चाहिए और यह सभी कन्नडिग़ाओं का उनसे सादर अनुरोध है।
विरोध प्रदर्शन में कन्नड़ साहित्य परिषद की जिला परिषद के अध्यक्ष मायण्णा, एम तिमय्या, डॉ. बैरमंगला रामेगौड़ा, चन्नेगौड़ा, डॉ. केवी रामकृष्णा गौड़ा, टी तिम्मेश, सीवी देवराज सहित अनेक लोगों ने भाग लिया।