वहीं, HAL की ओर से गुरुवार को जारी एक बयान में कहा गया कि कर्मचारी यूनियनों ने श्रम आयुक्त अधिकारियों के साथ आयोजित सुलह कार्यवाही वार्ता के के दौरान तथ्यों को गुमराह और विकृत रूप से रखा है। कर्मचारी यूनियनों ने श्रम आयुक्त को भ्रामक जानकारियां पेश की हैं। एचएएल प्रवक्ता गोपाल सुथार ने कहा कि श्रम अधिकारियों की सलाह के बावजूद यूनियन अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल से हटने को तैयार नहीं है और ना ही वे द्विपक्षीय वार्ता पर लौटे हैं।
उन्होंने कहा कि श्रम अधिकारियों ने इस हड़ताल को अवैध घोषित किया है। हम आशा करते हैं कि तथ्यों को विकृत करने के बजाय एचएएल के कर्मचारी नेता सौहार्दपूर्ण समाधान का मार्ग प्रशस्त करें और वार्ता पर लौटें। उन्होंने कहा कि हमारी श्रम अधिकारियों के साथ आगे की कार्यवाही वार्ता 29 अक्टूबर 2019 को होगी।
देश के सबसे बड़े सार्वजनिक रक्षा उपक्रम की इस हड़ताल का सीधा असर तीनों सेनाओं के रक्षा साजो सामान के उत्पादन पर पड़ा है। हड़ताल के लंबा खिंचने से थलसेना, वायुसेना और नौसेना के कई लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टरों एवं संबंधित उपकरणों का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होगा।
वेतन असमानता दूर करने की मांग
कर्मचारी यूनियनों के संयोजक सूर्यदेव चंद्रशेखर के अनुसार श्रमिकों के वेतन में कई प्रकार की विसंगतियां और असमानता है, इसलिए कर्मचारियों ने वेतन पुनरीक्षण की मांग की है। उन्होंने कहा कि वेतन असामनता को आसानी से समझा जा सकता है। एक ओर एचएएल के करीब 8500 अधिकारियों पर सालाना वेतन खर्च 550 से 600 करोड़ रुपए हो रहा है। वहीं २० हजार कर्मचारियों के वेतन पुनरीक्षण के बाद करीब 300 करोड़ सालाना वेतन होगा। लेकिन, प्रबंधन इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखकर निर्णय हो।
कर्मचारी यूनियनों के संयोजक सूर्यदेव चंद्रशेखर के अनुसार श्रमिकों के वेतन में कई प्रकार की विसंगतियां और असमानता है, इसलिए कर्मचारियों ने वेतन पुनरीक्षण की मांग की है। उन्होंने कहा कि वेतन असामनता को आसानी से समझा जा सकता है। एक ओर एचएएल के करीब 8500 अधिकारियों पर सालाना वेतन खर्च 550 से 600 करोड़ रुपए हो रहा है। वहीं २० हजार कर्मचारियों के वेतन पुनरीक्षण के बाद करीब 300 करोड़ सालाना वेतन होगा। लेकिन, प्रबंधन इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखकर निर्णय हो।
एचएएल को रोजाना 50 करोड़ का घाटा
कर्मचारियों की हड़ताल के कारण एचएएल का उत्पादन ठप है। इससे कंपनी को रोजाना करीब 50 करोड़ रुपए घाटा होने का अनुमान है। हालांकि प्रबंधन की ओर से दैनिक घाटे पर कुछ नहीं कहा गया है लेकिन कर्मचारी यूनियनों की मानें तो हर दिन 50 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। यूनियनों के अनुसार कंपनी की 2018-2019 में १२ महीनों की टर्नओवर राशि 19,400 करोड़ रुपए थी और उस आधार पर अगर इसे 30 दिनो में विभाजित किया जाए तो दैनिक घाटा 50 करोड़ रुपए है।
कर्मचारियों की हड़ताल के कारण एचएएल का उत्पादन ठप है। इससे कंपनी को रोजाना करीब 50 करोड़ रुपए घाटा होने का अनुमान है। हालांकि प्रबंधन की ओर से दैनिक घाटे पर कुछ नहीं कहा गया है लेकिन कर्मचारी यूनियनों की मानें तो हर दिन 50 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। यूनियनों के अनुसार कंपनी की 2018-2019 में १२ महीनों की टर्नओवर राशि 19,400 करोड़ रुपए थी और उस आधार पर अगर इसे 30 दिनो में विभाजित किया जाए तो दैनिक घाटा 50 करोड़ रुपए है।