मंड्या लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा ८०.२४ फीसदी मतदान हुआ। 77.90 प्रतिशत मतदान के साथ दक्षिण कन्नड़ लोकसभा क्षेत्र दूसरे स्थान पर तथा 77.17 फीसदी मतदान के साथ तुमकूरु तीसरे स्थान पर रहा। वहीं, बेंगलूरु दक्षिण में सबसे कम ५३.४८ फीसदी मतदान हुआ।
उडुुपी चिक्कमगलूरु में 75.91, हासन में 77.08, चित्रदुर्गा में 70.73, चिकबलापुर में ७६.७८, कोलार में ७७.१४, मैसूरु में 69.30, चामराजनगर में 75.15 प्रतिशत हुआ। राज्य चुनाव अयोग सहित विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों और राजस्थान पत्रिका ने ‘जागो जनमत’ के माध्यम से पिछले कई सप्ताह से मतदाताओं को अधिकाधिक मतदान के लिए प्रोत्साहित करने का अभियान चला रखा था। इन अभियानों का असर मतदान पर दिखा और बड़ी संख्या में मतदाताओं ने रेकॉर्ड वोटिंग की। हालांकि शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाताओं को उत्साह चरम पर रहा और इसी कारण से कई ग्रामीण क्षेत्रों में रेकॉर्ड वोटिंग हुई।
बेंगलूरु के मतदाता फिर उदासीन
एक ओर जहां राज्य में मतदान का नया रेकॉर्ड बना, वहीं बेंगलूरु के मतदाताओं की वोटिंग के प्रति उदासीनता फिर से साबित हुई। बेंगलूरु की चारों लोकसभा सीटों का मतदान प्रतिशत सबसे कम रहा। यहां तक कि इन सीटों पर लोकसभा चुनाव २०१४ के मुकाबले भी कम वोटिंग हुई। बेंगलूरु दक्षिण में २०१४ में ५५.५७ फीसदी मतदान हुआ था जबकि इस बार ५३.४८ प्रतिशत हुआ।
इसी प्रकार बेंगलूरु मध्य में वर्ष २०१४ के ५५.७५ फीसदी के मुकाबले इस बार ५४.२९ प्रतिशत मतदान हुआ और बेंगलूरु उत्तर में वर्ष २०१४ के ५६.५३ प्रतिशत के मुकाबले ५४.६२ फीसदी मतदान हुआ। यहां तक कि बेंगलूरु ग्रामीण संसदीय क्षेत्र के मतदाता भी मतदान को लेकर उदासीन रहे और वर्ष २०१४ के ६६.४५ प्रतिशत के मुकाबले ६४.९० फीसदी मतदान हुआ।