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बैंगलोर

मनुष्य की आत्मा ही मनुष्य की मित्र: आचार्य महाश्रमण

सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की ज्योति जलाते जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण अहिंसा यात्रा संग मंगलवार सुबह गांधीनगर पहुंचे। अपने आराध्य को गांधीनगर में पाकर अनुयायियों का उल्लास चरम पर था।

बैंगलोरJun 25, 2019 / 10:12 pm

Santosh kumar Pandey

bangalore news

मनुष्य की आत्मा ही मनुष्य की मित्र: आचार्य महाश्रमण

बेंगलूरु. सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की ज्योति जलाते जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण अहिंसा यात्रा संग मंगलवार सुबह गांधीनगर पहुंचे। अपने आराध्य को गांधीनगर में पाकर अनुयायियों का उल्लास चरम पर था। चारों ओर आचार्य के संदेश और जयकारे वातावरण को धर्ममय बना रहे थे। आचार्य ने अपनी अहिंसा यात्रा के साथ काक्स टाउन से गांधीनगर के लिए प्रस्थान किया। विधानसभा भवन के आसपास सैकड़ों लोगों ने आचार्य के दर्शन किए और आशीर्वाद प्राप्त किए।
करीब सात किलोमीटर का विहार कर आचार्य गांधीनगर स्थित तेरापंथ भवन पहुंचे। तेरापंथ भवन में उन्होंने लिफ्ट और पांचवीं मंजिल पर आचार्य महाश्रमण हॉल का उद्घाटन किया। इसके बाद आचार्य भवन से कुछ दूरी पर स्थित सेंट्रल कॉलेज मैदान पहुंचे। आचार्य ने सेन्ट्रल कॉलेज मैदान पर आयोजित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारी दुनिया में कई लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें हम अपना मित्र अथवा हितैषी कहते हैं, जो हमारा हित करने वाले हो सकते हैं और कुछ ऐसे भी लोग होते हैं, जिन्हें हम अपना शत्रु मानते हैं और उनसे अहित होने की आशंका भी कर सकते हैं। एक दृष्टि से देखा जाए तो कोई हमारा मित्र नहीं और कोई हमारा शत्रु नहीं।
मनुष्य की आत्मा ही मनुष्य की मित्र और मनुष्य की शत्रु हो सकती है। सत्कार्यों, धर्माचारी आत्मा मानव का मित्र और दुराचारी, अधर्मी, पापाचारी आत्मा मानव का दुश्मन होती हैं। कंठ छेदन करने वाला शत्रु भी उतना बड़ा शत्रु नहीं होता, जितनी दुष्प्रवृति में लगी आत्मा होती है। आदमी को सदाचार, धर्माचार युक्त जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। धर्माचरण से बड़ी कोई सम्पत्ति नहीं, यह आगे के जीवन में भी काम आ सकती है। आचार्य ने गांधीनगरवासियों को पावन प्रेरणा और आशीर्वाद प्रदान किया। बेंगलूरु में चतुर्मास करने वाली साध्वी कंचनरेखा को भी आचार्य ने आशीर्वाद प्रदान किया। गांधीनगरवासियों ने आचार्य से सम्यकत्व दीक्षा ग्रहण की।
साध्वी कंचनप्रभा ने आचार्य के समक्ष अपनी भावांजलि अर्पित की तथा अपने ठाणे के अन्य साध्वियों संग गीत के माध्यम से भी अभिवन्दना की। आचार्य ने उन्हें आशीष प्रदान करते हुए इस वर्ष का चातुर्मास गुरुकुलवास में करने का आदेश भी प्रदान किया।
आचार्य के स्वागत में दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष सुरेन्द्र हेगड़े, तेरापंथी सभाध्यक्ष व बेंगलूरु चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष मूलचंद नाहर, तेरापंथ ट्रस्ट के अध्यक्ष बहादुर सेठिया, उपाध्यक्ष गौतमचंद मूथा, तेयुप अध्यक्ष रोहित कोठारी, महिला मण्डल की अध्यक्ष अनीता गांधी, टीपीएफ अध्यक्ष हिम्मत मांडोत, अणुव्रत अध्यक्ष कन्हैयालाल चिप्पड़, तेरापंथी सभा के मंत्री प्रकाश लोढ़ा, उपाध्यक्ष कैलाश बोराणा, ज्ञानशाला कर्नाटक प्रभारी माणकचंद संचेती, तेरापंथ श्रावक समाज, गांधीनगर की ओर से विजेता रायसोनी, कॉर्पोरेटर लता नवीन राठौड़, कॉर्पोरेटर-चिकपेट शिवकुमार, तेरापंथ महासभा के पूर्व अध्यक्ष हीरालाल मालू, दीपक भाई हकानी व रवि नाहटा आदि ने विचार व्यक्त किए।
ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने गीत एवं लघु नाटिका की प्रस्तुति दी। तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद ने गीत के माध्यम से श्रीचरणों में अपनी भावांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का संचालन दिनेश मुनि ने किया। बेंगलूरु चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के उपाध्यक्ष जवरीलाल जीरावला सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

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