चिकित्सकों ने इस समस्या को ‘Fetus in Fetu’ नाम से परिभाषित किया। ऐसे मामलों में Fertilization के बाद जुड़वा भ्रूण बनते हैं। कुछ मामलों में एक भ्रूण दूसरे के लिए पैरासाइट बन जाता है। भ्रूण विकसित हो रहे बच्चे के शरीर में प्रवेश कर जाता है और बढऩे लगता है। इस मामले में भी parasite बच्चे के पेट में बढ़ रहा था।
Kolkata के चिकित्सकों ने भेजा bengaluru
Manipal अस्पताल के Pediatric Surgeon और यूरोलॉजिस्ट Dr. Radhakrishna ने सोमवार को बताया कि बच्चे के पेट में सूजन की शिकायत लेकर उसके अभिभावक पश्चिम बंगाल से मरीज अभीर को लेकर आए थे। अभीर का जन्म भी सातवें महीने में ही हुआ था। ABHIR जब दो माह का था तब father तनमय को उसके पेट में सूजन का अहसास हुआ। कई चिकित्सकों से उपचार कराने पर जब लाभ नहीं हुआ तब कोलकाता के एक चिकित्सक ने पेट में ट्यूमर की पहचान की। मामला दुर्लभ और जटिल होने के कारण बच्चे को बेंगलूरु के मणिपाल ले जाने का सुझाव दिया।
अविकसित भ्रूण में बदल गया था ट्यूमर
प्रेस क्लब में सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे डॉ. राधाकृष्ण ने बताया कि पेट, अग्न्याशय और आंतों तक रक्त की आपूर्ति करने वाली प्रमुख रक्त वाहिकाएं अपनी प्राकृतिक जगह से खिसक ट्यूमर के काफी करीब पहुंच चुकी थीं। काफी मशक्कत के बाद ट्यूमर को शरीर से अलग करने में सफलता मिली। ट्यूमर के अंदर अविकसित मस्तिष्क, बाल, हड्डी, आंतों के ऊतक आदि थे। ट्यूमर अविकसित भ्रूण का रूप ले चुका था और भ्रूण को किसी तरह बच्चे से पोषण मिल रहा था। उन्होंने कहा कि भ्रूण को जिंदा तो नहीं मान सकते लेकिन Tissues लगातार विकसित हो रहे थे।
आसान नहीं होता निदान
डॉ. राधाकृष्ण ने बताया कि ‘फीटस इन फीटू’ दुर्लभ मामला है। विश्व में इस तरह के कुछ सौ मामले ही सामने आए हैं। इसका निदान आसान नहीं होता है। निदान में कुछ माह से कई वर्ष तक लग जाते हैं।