एसआइटी ने जांच में पता लगाया है कि मंसूर ने ६०० करोड़ रुपए के ऋण के लिए बैंक में आवेदन दिया था। बैंक अधिकारियों ने सरकार की ओर से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) की मांग की। मंसूर ने एक मंत्री के जरिए एनओसी लेने का प्रयास किया।
जानकारी के अनुसार मंसूर खान ने एक मुस्लिम नेता के जरिए एक मंत्री से मुलाकात की। संबंधित मंत्री के जरिए एक विभाग के वरिष्ठ आइएएस अधिकारी को एनओसी देने को कहा गया। मगर, उस अधिकारी को कंपनी के बारे में संदेह था, इसलिए एनओसी देने से इनकार कर दिया। मंत्री ने उस अधिकारी पर कई तरह के दबाव डाले। उस अधिकारी ने स्पष्ट रूप से बताया कि अगर भविष्य में कुछ गड़बड़ी हुई तो सबसे पहले उसकी गिरफ्तारी होगी और वे किसी भी हालत में एनओसी नहीं दे सकता, चाहे नौकरी से इस्तीफा ही क्यों ना देना पड़े। इस अधिकारी के कारण मंसूर खान को ऋण नहीं मिला। अब अधिकारी ने मंत्री से भेंट की और बताया कि अगर एनओसी दे देता तो उसके भी जेल जाने की संभावना थी। मंत्री ने इस अधिकारी का शुक्रिया अदा किया है।