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बैंगलोर

सरकारी अफसरों के लिए यौन अपराध मामलों में बने कानून की समीक्षा करेगा हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट यौन अपराध के आरोप में सरकारी अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए स्वीकृति लेने की आवश्यकता नहीं होने वाले कानून की संवैधानिकता पर विचार करेगी।

बैंगलोरMay 29, 2017 / 06:33 pm

rajesh walia

High Court

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सीआरपीसी की धारा 1 9 7 के तहत सरकारी अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पहले सरकार से स्वीकृति लेनी है। लेकिन दिल्ली में 16 दिसम्बर, 2012 में निर्भया सामूहिक दुष्कर्म के बाद में इस धारा में संशोधन बाद में सरकारी अधिकारी पर यौन अपराध का आरोप होने पर उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन की स्वीकृति की कोई ज़रूरत नहीं है। 
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल की बैंच ने संशोधित कानून की संवैधानिकता पर विचार की आवश्यकता के साथ सहमति जताई है। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में पेश किया जवाब में कहा गया है कि यौन अपराध के मामलों में सरकारी अधिकारी पर मुकदमा की आवश्यकता नहीं है। पुलिस वालों के खिलाफ फर्जी आरोप लगाए जाएंगे और इससे उनकी काम करने की क्षमता प्रभावित और बाधित होगी। 
इस मामले में कोर्ट के सहयोग के लिए एक सीनियर एडवोकेट केा न्याय मित्र नियुक्त किया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई एक अगस्त को होगी।

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