बीयू के एक सहायक प्रोफसर ने कहा कि ऑफलाइन और ऑनलाइन शिक्षा से असमंजस की स्थिति पैदा होगी। शिक्षा में एकरूपता नहीं होगी। अब तक यह भी स्पष्ट नहीं है कि ऑनलाइन कक्षा के लिए अलग से पढ़ाना होगा या फिर ऑनलाइन शिक्षा का विकल्प चुनने वाले विद्यार्थी ऑफलाइन कक्षा में डिजिटल रूप से सीधे शामिल हो सकेंगे।
एक अन्य प्रोफेसर के अनुसार व्यावहारिक परीक्षा में विद्यार्थियों की ऑफलाइन उपस्थिति अनिवार्य है। केवल इसके लिए विद्यार्थी जब यात्रा कर कर्नाटक पहुंच सकते हैं तो ऑफलाइन कक्षा भी संभव है।
बीयू के कुलपति प्रो. के. आर. वेणुगोपाल ने बताया कि शिक्षा विभाग ने आधिकारिक आदेश और दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। इसके जारी होते ही संबद्ध कॉलेजों को सूचना भेजेंगे।
मिले दोनों विकल्प
कई विद्यार्थी ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन कक्षा की मांग भी कर रहे हैं। एक विद्यार्थी के अनुसार व्यावहारिक परीक्षा की तरह कठिन या अवधारणा आधारित पाठ को समझने के लिए विद्यार्थियों को ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन का विकल्प भी मिले दो बेहतर होगा। कुछ ऐसे विषय हैं जिन्हें ऑनलाइन पढ़ाना और विद्यार्थियों के लिए समझना मुश्किल है।
जल्दबाजी का आरोप
अखिल भारतीय लोकतांत्रिक छात्र संगठन (एआइडीएसओ) के बेंगलूरु शहरी जिला अध्यक्ष एच. एम. सीताराम ने सरकार पर स्थिति को सामान्य दिखाने के लिए शिक्षण संस्थानों को फिर से खोलने की जल्दबाजी का आरोप लगाया है। शिक्षण संस्थान शुरू करने के निर्णय से पहले सरकार को चाहिए था कि वो पहले दिशा-निर्देश और मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करे। हितधारकों से बातचीत करे। लेकिन हुआ बिल्कुल उल्टा। इसके कारण असमंजस की स्थिति पैठा हो गई है।
नहीं हो एसओपी का उल्लंघन
कोविड सुरक्षा को लेकर विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को स ाी आवश्यक सावधानियां बरतनी होगी। सरकार सुनिश्चित करे कि मानक संचालन प्रक्रिया का किसी भी सूरत में उल्लंघन नहीं हो।
– टी. एम. मंजुनाथ, अध्यक्ष, कर्नाटक सरकारी कॉलेज शिक्षक संघ।