महानगर निगम ने वर्ष 2020-21 के लिए संपत्ति कर में आवासीय भवनों के लिए 20 प्रतिशत, वाणिज्य भवनों के लिए 30 प्रतिशत, गैरआवासीय-गैर वाणिज्य उपयोग के भवनों को 25 प्रतिशत तथा खुले भूखण्ड के लिए 30 प्रतिशत कर में बढ़ोतरी की ही।
महानगर निगम कार्यक्षेत्र में लगभग 2.8 5 लाख संपत्तियां हैं। मौजूदा वर्ष संपत्ति कर माफ करने की व्यापारियों, होटल उद्यमियों, औद्योगिक उद्यमियों ने सरकार से मांग की है। कर माफ करना तो दूर, बढ़ोत्तरी कर कोविड पैकेज दिया है कहकर लोग आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं। वित्त वर्ष आरंभ के डेढ़ माह के बाद कर में बढ़ोत्तरी यही पहली बार की है।
पूराने दर के हिसाब से मौजूदा संपत्ति कर का भुगतान करने वालों को फर्क आरी राशि का भुगतान करने को लेकर महानगर निगम अधिकारियों ने करदाताओं को कॉल कर रहे हैं। वरना नोटिस जारी कर, ब्याज वसूलने की चेतावनी दी है।
स्वयं घोषित संपत्ति कर पध्दति के नियमों के तहत हर तीन वर्ष में एक बार संपत्ति कर दर में बढ़ोत्तरी अनिवार्य है। 15 से 30 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी करने का संबंधित शहरी स्थानीय इकाइयों के विवेक पर छोड़ा गया है।
हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम ने वर्ष 2017-18 में आखिरी बार संपत्ति कर के दरों में संशोधन किया था। वर्ष 2020-21 में संपत्ति कर में बढ़ोत्तरी नहीं करने तथा मौजूदा दर में ही कर वसूलने के महानगर निगम अधिकारियों ने शहरी विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से मांग की थी।
अधिकारियों ने मौखिक तौर पर मंजूरी दी थी परन्तु अब नियमों की आड में बढ़ोत्तरी की है।
विशेष पैकेज का गठन
विधायक प्रसाद अब्बय्या तथा विधान परिषद के पूर्व सदस्य नागराज हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम ने संपत्ति कर में बढ़ोत्तरी कर करदाताओं को शॉक दिया है।
इस संबंध में विज्ञप्ति जारी कर दोनों नेताओं ने बताया कि लॉकडाउन से जनता पहले ही संकट में है। व्यापार, कारोबार के बिना उद्यमी अत्यधिक घाटा झेल रहे हैं। कुछ जगहों पर कार्य नहीं होने से लोग परेशान हैं। ऐसे संकट के समय में महानगर निगम का मौजूदा वर्ष के संपत्ति कर में 20 से 30 प्रतिशत बढ़ोत्तरी करना निंदनीय है।
महानगर निगम को तुरन्त इस बढ़ोत्तरी को वापस लेना चाहिए। संपत्ति कर भुगतान पर छूट देनी चाहिए। महानगर निगम के संपत्ति कर में बढ़ोत्तरी के लिए लोगों पर बिना जरूरी बोझ नहीं डालकर सरकार से विशेष पैकेज प्राप्त करने की दिशा में कार्य योजना गठित करनी चाहिए।
क्या जिला प्रभारी मंत्री के ध्यान में नहीं?
माहनगर निगम में पिछले एक वर्ष से निर्वाचित प्रतिनिधियों की सत्ता नहीं है। अधिकारियों की ही मनमानी है परन्तु संपत्ति कर में बढ़ोत्तरी क्या जिला प्रभारी मंत्री के ध्यान में नहीं है?
लॉकडाउन पूर्व तथा बाद में उद्यमियों ने विभिन्न चरणों में मंत्री से मुलाकात कर छूट, रियायत देने की मांग की थी परन्तु मंत्री का मौन रहना आपत्ति का कारण बना है। कर्नाटक वाणिज्य एवं उद्योग संस्था में मंगलवार शाम को हुई बैठक में रियल एस्टेट उद्यमियों, व्यापारियों, औद्योगिक उद्यमियों ने संपत्ति कर में बढ़ोत्तरी की निंदा की है।