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बैंगलोर

ISRO: जानें, चंद्रयान और गगनयान की तैयारियों में जुटे इसरो को बजट में क्या मिला

एनएसआइएल के निगमीकरण की घोषणा

बैंगलोरJul 05, 2019 / 08:12 pm

Rajeev Mishra

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जानें, चंद्रयान और गगनयान की तैयारियों में जुटे इसरो को बजट में क्या मिला

बेंगलूरु. सफलताओं के नए प्रतिमान स्थापित करने वाले तथा Chandrayaan-2 और गगनयान जैसी परियोजनाओं की तैयारी कर रहे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के budget में पूरा समर्थन दिया है।
बजट पेश करते हुए Finance Minister Nirmala Sitharaman ने कहा कि technology और उपग्रह लांच करने की क्षमता एवं वैश्विक स्तर पर कम लागत पर अंतरिक्ष उत्पादों के साथ भारत अब विश्व की प्रमुख अंतरिक्ष शक्तियों में शामिल है है। अब समय आ गया है कि इस क्षमता का वाणिज्यिक उपयोग किया जाए। उन्होंने बजट में न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के गठन का जिक्र करते हुए कहा कि इसरो की क्षमता का लाभ उठाने के लिए एनएसआइएल को निगमीकृत किया गया है। यह कंपनी विभिन्न अंतरिक्ष उत्पादों के व्यवसायीकरण का अगुवा बनेगी।
हालांकि, इसरो की अन्य वाणिज्यिक इकाई अंतरिक्ष कॉरपोरेशन लिमिटेड है लेकिन उसका अस्तित्व रहेगा या नहीं इस बारे में अभी कोई स्पष्टता नहीं है। लेकिन, एनएसआइएल को PSLV और SSLV Rocket के निर्माण की भी जिम्मेदारी दी जाएगी जो कि अंतरिक्ष लिमिटेड को नहीं थी। इसरो अध्यक्ष के.शिवन के मुताबिक आने वाले दिनों में एसएसएलवी रॉकेट की मांग बाजार में काफी बढ़ेगी। हर महीने लगभग दो से तीन एसएसएलवी लांच की संभावना है। इसमें एनएसआइएल की अहम भूमिका होगी। यहां तक की पीएसएलवी रॉकेट के Production की जिम्मेदारी भी उसे दी जाएगी।
इस बीच वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए अंतरिक्ष विभाग के लिए Budgetary allocation में अच्छी खासी बढ़ोतरी की गई है। वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान 11 हजार 200 करोड़ की तुलना में चालू वित्तीय वर्ष में 12 हजार 473.26 करोड़ रुपए का provision किया गया है। बजट अनुमान के मुताबिक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (गगनयान सहित) के लिए 8408 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है जबकि अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए 1885 करोड़ रुपए और इनसैट उपग्रह प्रणालियों के लिए 884 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। पिछले वित्तीय वर्ष के संशोधित अनुमानों के मुताकि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी मद में 6993 करोड़, अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए 1595 करोड़ और इनसैट उपग्रह प्रणाली के लिए 1330 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था।

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