गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों को अन्नभाग्या योजना के तहत प्रति माह नि:शुल्क अनाज दिया जाता है। लेकिन, बड़ी संख्या में लोगों ने गलत जानकारी देकर बीपीएल राशन कार्ड बनवा लिए। इस कारण यह योजना सफेद हाथी बन कर रह गई। आहार एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने गलत जानकारी देकर बीपीएल राशन कार्ड बनवाने वालों के खिलाफ अभियान चलाया। सरकार ने ऐसे कार्डधारकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने की चेतावनी दी। इसके बाद डर कर लोगों ने कार्ड सरेंडर करने शुरू कर दिए।
आहार एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री के.गोपालय्या के अनुसार कलबुर्गी जिले में 14 हजार, विजयपुर जिले में 10 हजार, चिकबल्लापुर जिले में 7 हजार समेत राज्य के विभिन्न जिलों में 63 हजार से अधिक परिवारों ने गलत जानकारी देकर बनवाए बीपीएल राशन कार्ड लौटा दिए हैं। बेंगलूरु ग्रामीण जिले में सबसे कम 43 बीपीएल राशनकार्ड वापस आए हैं। अतिरिक्त भार बचाने के लिए अन्नभाग्या योजना के लिए 5 किलो प्रति यूनिट के बदले 3 किलो चावल तथा 2 किलो गेहूं या ज्वार देने का फैसला किया है।विभाग ने ऐसे लोगों को कार्रवाई से बचने के लिए स्वयं राशनकार्ड स्थानीय तहसीलदार कार्यालय में सरैंडर करने के निर्देश दिए थे।
इस कार्रवाई का लक्ष्य गरीब तथा जरूरतमंद परिवारों तक अनाज पहुंचाना था। केवल ऐसे परिवारों के लिए ही अन्नभाग्या योजना शुरू की गई है। लेकिन बीपीएल राशनकार्ड के लिए कई संपन्न लोगों ने अपनी वार्षिक आय 1 लाख 20 हजार रुरपए से कम होने की गलत जानकारी देकर कार्ड बनवा लिए थे।
इसी वजह से इस योजना को चलाना राज्य सरकार के लिए मुश्किल हो रहा था।इसके अलावा कई परिवारों ने पुराना कार्ड निरस्त किए बगैर ही नया राशनकार्ड बना लिया था। कई परिवारों के पास दो-तीन राशनकार्ड थे। लेकिन अब राशनकार्डों को आधार पहचान पत्र के साथ जोड़े जाने के कारण राज्य में ऐसे 50 लाख से अधिक फर्जी राशनकार्ड उजागर हुए हैं। ऐसे कार्डों को निरस्त किया गया है।