पूर्व केन्द्रीय मंत्री व राज्यसभा सदस्य डॉ. के. रहमान खान ने संवाददाताओं को बताया कि ज्ञापन सौंपने से पूर्व उच्च स्तरीय बैठक की। जिसमें इस बार के चुनाव घोषणा पत्र में क्या मांग करनी है और क्या प्रस्ताव पेश करने हैं, इस पर चर्चा की गई। घोषणा पत्र में अल्पसंख्यक को जनसंख्या के अनुपात के अनुसार पर टिकट देने, सरकारी नौकरी और अन्य क्षेत्रों में आरक्षण देने और अन्य मांगों को शामिल किया गया है। चुनाव घोषणा पत्र एक तरह से दस्तावेज होता है। जो भी पार्टी सत्ता में आती है। इसके लिए चुनाव घोषणा पत्र एक दिशा निर्देश होता है।
उन्होंने कहा कि जब तक सरकार मुलसमानों की सस्याओं को नहीं जानेगी तब तक कोई न्याय नहीं कर सकती। मंत्रिमंडल में मुस्लि म जनप्रतिनिधियों को भी उनके समु दायों की समस्या ओं की जिम्मे दारी लेनी होगी। कर्नाटक अल्पसंख्यक विका स निगम के अध्यक्ष नसीर अहमद ने कहा कि जिला पंचा यतों और तालुक पंचायतों में भी अल्पसंख्य कों को नेतृत्व मिले। सहा करिता क्षेेत्रों और प्रधानमंत्री के पन्द्रह सूत्रीय कार्य क्रम पर ध्यान दिया जाए। इसके अलावा सरकारी उर्दू स्कूलों में पहली कक्ष से ही कन्नड़ और अंग्रेजी सिखाने का आदेश जारी किए जाएं।
वीरप्पा मोईली ने कहा कि समिति ने प्रदेश के सभी जिलों और तह सीलों का दौ रा कर अल्पसंख्यों की समस्याओं पर चर्चा की है। अब जनप्रतिनिधियों ने ज्ञापन सौंपा है। इस पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में २० जनवरी को एक बैठक होगी।