बेंगलूरु. देश की पहली स्वदेशी नागरिक विमान परियोजना ‘सारस’ फिर एक बार पटरी पर लौट आई है। लगभग 9 वर्षों के अंतराल पर और कई सुधारों के बाद ‘सारस पीटी-1 एन’ ने बुधवार को बेंगलूरु के आकाश में उड़ान भरी और लगभग 40 मिनट हवा में बिताए। विमान का पहला उड़ान परीक्षण पूरी तरह सफल रहा और लैंडिंग सामान्य रही।
145 नॉट की रफ्ततार से भरा उड़ान
14 सीटों वाले ‘सारस पीटी-1 एन’ ने परीक्षण के दौरान 145 नॉट की रफ्तार से उड़ान भरा और 8500 फीट की ऊंचाई तक गया। केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री ने डॉ हर्षवद्र्धन ने वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि परीक्षण के दौरान सभी मानक सामान्य पाए गए।
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की अग्रणी प्रयोगशाला नेशनल एयरोनॉटिकल लेबोरेट्रीज (एनएएल) द्वारा विकसित किए जा रहे इस विमान की पहली उड़ान के पायलट थे-विंग कमांडर यू.पी.सिंह, गु्रप कैप्टन बी.पानिकर और ग्रुप कैप्टन के पी भट। ये तीनों पायलट यहां विमान एवं प्रणाली परीक्षण प्रतिष्ठान (एएसटीई) के विशिष्ट टेस्ट पायलट हैं। एएसटीई वायुसेना के विशिष्ट टेस्ट पायलटों का केंद्र है। विमान ने सुबह 11 बजे एचएएल हवाई अड्डे से उड़ान भरी और करीब 40 मिनट हवा में बिताए। किरण विमान में गु्रप कैप्टन बद्रीश ने उड़ान के दौरान सारस की निगरानी की।
हादसे के बाद 2009 में रूक गया था काम उन्नत सारस के पहले प्रोटोटाइप ‘सारस पीटी-1 एन’ की पहली सफल उड़ान से यह परियोजना फिर एक बार जीवंत हो गई है। वर्ष 2009 में यह परियोजना उस वक्त रोक दी गई थी जब परीक्षण के दौरान सारस विमान क्रैश हो गया और उसमें मौजूद तीनों पायलटों की जान चली गई। दुर्घटना के बाद परियोजना लगभग खत्म हो गई थी लेकिन गत वर्ष एयरो इंडिया के दौरान केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ.
हर्षवर्धन ने इसे फिर से शुरू करने की घोषणा की थी।
दो दशक पहले शुरु हुआ था काम सारस विमान परियोजना की शुरुआत वर्ष 1990 में भारत और रूस की संयुक्त साझेदारी में शुरू हुई। लेकिन, सोवियत रूस के विघटन के बाद एनएएल की सहयोगी रूसी कंपनी वित्तीय संकट के कारण पीछे हट गई और एनएएल ने अपने दम पर इस परियोजना को आगे बढ़ाया। मई 2004 में सारस ने पहली उड़ान भरी लेकिन उसके बाद वर्ष 2009 में दूसरे प्रोटोटाइप के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई।
युवा वैज्ञानिकों की टीम कर रही काम
अब 40 वैज्ञानिकों एवं इंजीनियरों की एक युवा टीम जिनकी औसत उम्र 40 वर्ष ही है, इसके लिए कड़ी मेहनत कर रही है। वैज्ञानिकों का प्रयास है कि सारस परियोजना जिन उद्देश्यों के साथ शुरू हुई थी उसे अंजाम तक पहुंचाएं। सारस परियोजना के फिर से जीवंत होने से 14 और 19 सीट वाले टर्बोप्रॉप स्वदेशी नागरिक विमान का सपना पूरा होने की उम्मीद बढ़ गई है। सारस के नए अवतार ‘सारस पीटी-1 एनÓ में कई सुधार किए गए हैं जिनमें कंट्रोल फोर्सेज, पर्यावरणीय नियंत्रण प्रणाली, केबिन, स्वाचालित एवियोनिक्स और चेतावनी प्रणाली, फ्लाइट टेस्ट इंस्ट्रूमेंट, इलेक्ट्रिकल सिस्टम आदि में कई सुधार तो कई नई प्रणालियों एवं उपप्रणालियों को लगाया गया है। एनएएल और एएसटीई अगले छह महीनों के दौरान सारस-पीटी-1 एन के तमाम परीक्षण पूरे कर लेना चाहते हैं।
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