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बैंगलोर

मणिकंदन के नाम पर शिकाररोधी शिविर का नामकरण

मणिकंदन पर इसी वर्ष 3 मार्च को विश्व वन्यजीवन दिवस के दिन दोड्ड बायरणा कुप्पे वन में एक हाथी ने हमला कर दिया था

बैंगलोरSep 13, 2018 / 12:33 am

arun Kumar

Name of victimization camp named after Manikandan

Name of victimization camp named after Manikandan

बेंगलूरु. वन शहीद दिवस के अवसर पर मंगलवार को नागरहोले के वीरनहोसहल्ली वन्यजीव रेंज स्थित शिकाररोधी शिविर का नामकरण एस. मणिकंदन के नाम पर किया गया। वन संरक्षक और नागरहोले बाघ रिजर्व के निदेशक मणिकंदन पर इसी वर्ष 3 मार्च को विश्व वन्यजीवन दिवस के दिन दोड्ड बायरणा कुप्पे वन में एक हाथी ने हमला कर दिया था जिससे उनकी मौत हो गई थी। मणिकंदन के सम्मान में शिकाररोधी शिविर का नामकरण उनके नाम पर किया गया है।
मणिकंदन का स्थान लेने वाले नागरहोले बाघ रिजर्व के निदेशक एवं वन संरक्षक आर. रविशंकर ने नए नामकरण वाले शिविर का उद्घाटन किया। मणिकंदन का जन्म वर्ष-1978 में तमिलनाडु के थेणु जिले में हुआ था और वे वर्ष-2001 बैच के आइएफएस अधिकारी थी। वे जुलाई-2016 से नागरहोले वन में सेवाएं दे रहे थे। मणिकंदन ने अपने सेवाकाल में नागरहोले वन क्षेत्र में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में कई महत्वपूर्ण काम किए। उन्होंने वन क्षेत्र के भीतरी भाग में स्थित सफारी को वीरनहोसहल्ली वन्यजीव रेंज में स्थानांतरित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसी प्रकार वन्यजीवों की सुविधा के लिए वन क्षेत्र में बोरवेल कराए और सौर ऊर्जा संचालित पम्पिंग सेट से पानी की सुविधा पहुुंचाई। पिछले कुछ वर्षों के सूखे के दौरान वन क्षेत्र में सूख चुके जल स्रोतों को वैकल्पिक तरीके से उन्नत करने की पहल की। उन्होंने वन क्षेत्र में वाहनों की निगरानी के लिए गश्त नामक ऐप जारी कराने में अहम भूमिका निभाई थी।
रविशंकर ने मणिकंदन के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने वन्यजीव और वन क्षेत्र के संरक्षण की दिशा में कई नवाचार किए थे। शिकार पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाने के साथ मानव-हाथी संघर्ष को नियंत्रित करने के लिए मणिकंदन ने विविध विकल्पों को अपनाया जिससे मानव-पशु संघर्ष की घटनाओं में 90 फीसदी तक की कमी आई। इस अवसर पर अतिरिक्त वन संरक्षक एसआर प्रसन्न कुमार सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

वन विभाग: शहीदों को दी श्रद्धांजलि
मैसूरु. मैसूरु प्रमंडल वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने मंगलवार को अशोकपुरम के अरण्य भवन में आयोजित समारोह में वन शहादत दिवस के अवसर पर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की और बंदूकों की सलामी दी गई। वन विभाग की और से प्रतिवर्ष 11 सितम्बर को उन वनकर्मियों की याद में शहादत दिवस मनाया जाता है जिन्होंने वनों की रक्षा करने और वन पशुओं को बचाने में अपनी जान गंवा दी। इस अवसर पर उप वन संरक्षक श्रीनिवास की पुण्यतिथि भी मनाई जाती है। चंदन तस्कर वीरप्पन ने 1991 में सिर काटकर उनकी हत्या कर दी थी। उप वन संरक्षक और नागरहोले बाघ संरक्षण के निदेशक एस मणिकंदन इसी वर्ष 3 मार्च को हाथी के हमले में मारे गए थे।
भारत सरकार ने उन्हें हाथी योद्धा पुरस्कार से नवाजा है। सरकार वन अधिकारियों के विकास के लिए कार्य कर रही है। वन शहादत दिवस मनाने के लिए एक कमिटी का गठन किया गया है। परेड कमांडर से गार्ड ऑफ ऑनर ग्रहण करने के बाद मुख्य वन संरक्षक जगतराम ने कहा कि समिति द्वारा एकत्रित राशि शहीदों के परिजनों के कल्याण में खर्च की जाएगी। शहीदों की याद में वनकर्मियों ने गोलियों से सलामी दी। इस अवसर पर मैसूरु प्रमंडल के मुख्य वन संरक्षक एसएस वेंकटेसन, उप वन संरक्षक डाक्टर केटी हनुमंतप्पा, डीसीएफ सिद्धरमप्पा, चामराजेन्द्र जैविक उद्यान के कार्यकारी निदेशक अजीत कुलकर्णी, भानुप्रकाश मौजूद थे।

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