अब नया धूमकेतु सामने आया है। खोज के समय यह पृथ्वी से 3 एयू की दूरी पर था। तस्वीर में इसकी छोटी सी पूंछ भी नजर आ रही है। चूंकि, तस्वीर धूमकेतु की ली गई इसलिए लंबा एक्सपोजर होने की वजह से तारों ने लकीरें बना दी है। अपने पथ पर अग्रसर यह धूमकेतु 8 दिसम्बर को सूर्य के निकटम से होकर गुजरेगा। तब यह दूरी होगी 2.04 एएयू होगी। प्रोफेसर कपूर ने कहा कि सवाल यह है कि सूर्य के निकट पहुंचने के बाद यह कहां जाएगा। यही बात इस धूमकेतु की सबसे विलक्षण है। उन्होंने बताया कि इसके पथ की उत्केंद्रता 3.52 है जो खोज से 12 दिनों के भीतर लिए गए प्रेक्षणों के आधार पर है। इसके सापेक्ष वृताकार पथ की उत्केंद्रता 0 होती है, दीर्घवृत की 1 से कम होती है और परवलय की 1 के बराबर होती है। जब ये उत्केंद्रता 1 से अधिक होती है तो ऐसा पथ अति परवलयाकार होता है। ऐसे पथ में कोई पिंड किसी अन्य पिंड के आकर्षण क्षेत्र में प्रारंभिक ऊर्जा के साथ ही आता है। अब तक की ज्ञात उत्केंद्रता का अधिकतम मान है 1.1 और इसके मुकाबले इस धूमकेतु की उत्केंद्रता बेहद ज्यादा है। यही बात जताती है कि यह हमारे सौरमंडल के बाहर से चला आया है।
नाभिक का आकार 10 किमी तक
वर्तमान में यह सूर्य से 2.7 एएयू पर है और इसके पथ पर सूर्य के आकर्षण का कुछ तो प्रभाव पड़ेगा और उसके पथ में थोड़ा विचलन भी आएगा। सूर्य से निकट से होकर गुजरते समय इसकी चमक बढ़कर प्लस 14 मैग्नीट्यूट हो जाएगी तब 10 से 12 इंच या इससे बड़े दूरदर्शी से इसे देखा और बेहतर अध्ययन किया जा सकेगा। इस धूमकेतु के नाभिक का आकार 10 किलोमीटर हो सकता है। इसके खोज कर्ता बोरीसोव ने अनेक पृथ्वी निकट पिंड खोजे हैं जिनमें 7 धूमकेतु हैं। अगले कुछ महीनों के अध्ययन से इस धूमकेतु की सही प्रकृति का पता चल पाएगा।