इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि वह टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र से राजमार्गों से गुजरने से जुड़ी समस्याओं के हल के लिए एक स्थायी समाधान लेकर आए। शीर्ष अदालत ने सैद्धांतिक रूप से सहमति भी दी कि संरक्षित क्षेत्रों के बफर जोन से गुजरने वाली सड़कों पर यातायात की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
जस्टिस आरएफ नरीमन एवं सूर्यकांत की खंडपीठ ने वैकल्पिक मार्ग अपनाए जाने पर जोर देते हुए अपने आदेश में कहा कि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के परामर्श से इस मार्ग को बंद करने की दीर्घकालिक योजना तैयार कर चार सप्ताह के भीतर एक हलफनामा पेश करे।
अदालत ने इस संदर्भ में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) एवं अन्य विशेषज्ञों द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 212 पर रात 9 बजे से सुबह 6 बजे के बीच यातायात पर प्रतिबंध जारी रखने के सुझावों पर भरोसा किया और कहा कि हमें इसे वर्तमान में स्वीकार करने की आवश्यकता है। अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाने से पहले केरल के वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता और राज्य के वरिष्ठ अधिवक्ता बसव पी. पाटिल, एनटीसीए व अन्य पक्षों की दलीलों पर विचार किया। कर्नाटक और तमिलनाडु ने वन्यजीवों और पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए प्रतिबंध का समर्थन किया, जबकि केरल ने इसका विरोध किया। केरल ने कहा कि यातायात प्रतिबंध से पर्यटन, व्यापार, कारोबार और स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। जब मामले की सुनवाई चल रही थी, उसी दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे भी किसी अन्य मामले के लिए अदालत में उपस्थित थे। उन्होंने यह दलील दी कि अभयारण्यों और टाइगर रिजर्व की रक्षा की जानी चाहिए। इसके लिए अगर यात्रा थोड़ी लंबी हो जाती है तो उससे कुछ नुकसान नहीं है।
याचिका दायर करने वाले से लेकर सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि ‘हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि जिन क्षेत्रों के बारे में हम बात कर रहे हैं वह बंडीपुर टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र से कम नहीं है। यह एक प्रमुख टाइगर रिजर्व है।’ अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग 212 कोल्लेगाल से कोझीकोड तक वाया मैसूर होकर निकलती है जो कि प्रमुख संरक्षित वन क्षेत्र है। सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार ने रात में यातायात प्रतिबंध का समर्थन करते हुए एक वैकल्पिक मार्ग सुझाया जो पहले से ही विकसित किया जा रहा है। राज्य सरकार ने बताया कि इस परियोजना पर पहले ही 75 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जा चुकी है।
वहीं केरल सरकार के वकील जयदीप गुप्ता ने कहा कि यातायात पर एकतरफा प्रतिबंध लगाया गया है। यह सड़क वायनाड से जुड़ती है जो कोझीकोड और मैसूरु को जोडऩे के लिए महत्वपूर्ण है। यहां कोई मौज-मस्ती के लिए ड्राइव का सवाल नहीं है। यह माल ढुलाई के लिए बेहद आवश्यक है। इस प्रतिबंध के चलते केरल में व्यापक अशांति पैदा हो रही है।
इससे पहले बंडीपुर डिवीजन के उप वन संरक्षक ने 3 जून 2009 को मोटर वाहन अधिनियम के तहत एक आदेश पारित कर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 212 पर गुंडलपेट और सुल्तान बठेरी तथा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 67 पर गुंडलपेट और ऊटी के बीच रात्रि के समय सभी वाहनों के आवागमन पर रोक लगा दी थी। लेकिन, इस आदेश को कुछ ही दिनों बाद 10 जून 2009 को हटा लिया गया था। प्रतिबंध हटाने का कारण वायनाड और केरल के बीच लोगों की हो रही असुविधा की बात कही गई। लेकिन, इसके बाद अधिवक्ता एल. श्रीनिवास बाबू ने उच्च न्यायलय में प्रतिबंध हटाने के निर्णय को चुनौती दी और फिर से प्रतिबंध बहाल हो गया।