Nimhans के चिकित्सा अधीक्षक ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि 28 नवंबर को चार फीट की ऊंचाई से गिरने के बाद बच्चे को शाम सात बजे हासन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एचआइएमएस) ले जाया गया था। डिस्चार्ज सारांश में बच्चे का जीसीएस स्कोर इ1टी3एम1 (जीसीएस स्कोर 8 से कम गंभीर मस्तिष्क चोट का संकेत) था। एक एंबुलेंस चालक बुधवार दोपहर 12.45 बजे डिस्चार्ज सारांश लेकर निम्हांस पहुंचा। कोई अन्य जांच रिपोर्ट उपलब्ध नहीं थी। रिकॉर्ड की समीक्षा करने के बाद बच्चे को निम्हांस में स्थानांतरित न करने की सलाह दी गई। उसी दिन दोपहर करीब 2.30 बजे वेंटिलेटर सपोर्ट पर बच्चे को एंबुलेंस में निम्हांस लाया गया। ईसीजी, ब्रेन सीटी स्कैन, छाती की उच्च रिजॉल्यूशन सीटी स्कैन की गई और बच्चे को कुछ दवाएं भी दी गई। परिजनों को जांच के रिपोर्ट की आधार पर बच्चे की स्थिति के साथ ही वेंटिलेटर बेड की अनुपलब्धता के बारे में भी बताया गया।
दोपहर करीब तीन बजे बच्चे को दिल का दौरा पड़ा। आगे की जांच के बाद चिकित्सकों ने शाम करीब चार बजे बच्चे को मृत घोषित किया।
डेढ़ घंटे के इंतजार के बावजूद
दूसरी ओर बच्चे के माता-पिता और एंबुलेंस चालक दल ने आरोप लगाया कि बच्चे को आपातकालीन वार्ड के अंदर जाने की अनुमति देने से पहले उन्हें 90 मिनट से अधिक समय तक इंतजार करना पड़ा। एंबुलेंस चालक का आरोप है कि बच्चे को आपातकालीन वार्ड में ले जाने के बाद भी चिकित्सकों ने तुरंत इलाज शुरू नहीं किया और बच्चे ने दम तोड़ दिया। अभिभावकों ने अस्पताल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।