साधु बने बिना सिद्धि नहीं – ज्ञानमुनि
अक्कीपेट स्थानक में धर्मसभा
साधु बने बिना सिद्धि नहीं – ज्ञानमुनि
बेंगलूरु. अक्कीपेट स्थित वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ स्थानक भवन में चातुर्मास प्रवचन में पण्डितरत्न ज्ञानमुनि ने कहा कि बीज बिना वृक्ष नहीं उगता है। अगर वृक्ष चाहते हो तो बीज का होना आवश्यक है। बीज पहले छोटा ही होता है जैसे जैसे समय बीतता जाता है वह विशाल वटवृक्ष का रूप ले लेता है। कभी-कभी तो इतना विराट बन जाता है कि उसके सहारे हजारों जीव अपना जीवन व्यतीत कर लेते हैं। उसी तरह नींव के बिना भी मकान नहीं बन पाता है। नींव जितनी मजबूत होती है उतनी ही मजबूत इमारत होती है। मां बिना पुत्र नहीं होता है और कपास बिना सूत नहीं होता है। साधु बने बिना सिद्ध नहीं हो सकते हैं। आगे उन्होंने कहा कि आज का दिन साधु के पद की आराधना का दिवस है। साधु के 27 गुण होते हैं। साधु आत्मा अपनी साधे, महाव्रत समिति गुप्ति आराधे का अर्थ समझते हुए कहा कि साधु वह है जो आत्म साधना, धर्म साधना, मोक्ष साधना करता हो। साधु की सही पहचान उसके समिति एवं गुप्ति से होती है। इर्या समिति यानि वह किस प्रकार चलता है, भाषा समिति यानि वह हितकारी एवं प्रमाणिक वचन ही बोले, एषणा समिति यानि वह केवल निर्दोष आहार ही ग्रहण करे आदि नियमों का पालन करने वाले साधु भगवंत ही तिरते हैं और तारते हैं। साधु को न तो क्रोध है न मान, न माया, न लोभ उसे संसार की किसी भी वस्तु पर न तो राग है और न ही द्वेष। वह तो सिर्फ अपनी साधना में लीन होते हुए लोगों का भी अपने उपदेश द्वारा कल्याण करता है। साधु की संख्या आचार्य और उपाध्याय से अधिक होती है। साधु द्वारा ही अधिक संख्या में लोग धर्म से जुड़ते हैं एवं धर्म को आगे बढ़ाते हैं इसीलिए साधुओं का भी धर्म को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान होता है। प्रारम्भ में लोकेशमुनि ने भी प्रेरक उद्बोधन दिया। साध्वी पुनीतज्योति की मंगल उपस्थिति रही। संघ अध्यक्ष सम्पतराज बडेरा ने सभी का स्वागत किया। संघ मंत्री मोतीलाल ढेेलडिय़ा ने संचालन किया।
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