नागरिक उड्डयन मंत्री पी.अशोक गजपति राजू ने लोकसभा में इस संदर्भ में पूछे सवाल का जवाब देते हुए कहा कि केम्पेगौड़ा हवाई अड्डे (केआईए) के साथ हुए करार का सम्मान करना होगा। केआईए पर दूसरा रन-वे निर्मित हो रहा है और उसकी परिचालन क्षमता पर्याप्त है। लोकसभा में यह सवाल बेंगलूरु मध्य के सांसद पीसी मोहन ने उठाया। उन्होंने उड्डयन मंत्रालय से एचएएल हवाई अड्डे को फिर खोलने की मांग दोहराते हुए केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की व्यस्तता से जुड़ा मुद्दा भी उठाया।
उन्होंने कहा कि बेंगलूरु मुंबई और दिल्ली के बाद देश का तीसरा बड़ा हवाई अड्डा बन गया है और यहां हवाई यातायात काफी व्यस्त है। जिस रफ्तार से इस हवाई अड्डे का बोझ बढ़ रहा है उससे दूसरे हवाई अड्डे की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। क्या मंत्रालय के पास एचएएल हवाई अड्डे को खोलने का कोई ऐसा प्रस्ताव है।
इस पर अपने जवाब में गजपति राजू ने कहा कि ‘बेंगलूरु हवाई अड्डे ने सरकार के साथ पहले ही एक करार किया है। करार के तहत वर्ष 2030 तक कोई दूसरा हवाई अड्डा 150 किमी दायरे में ऑपरेशनल नहीं हो सकता। लेकिन समय सीमा पूरी होने के बाद सभी के लिए विकल्प खुला रहेगा।Ó हालांकि, पीसी मोहन ने फिर एक सरकार से आग्रह किया कि केआईए काफी व्यस्त हो गया है इसलिए वे इस प्रस्ताव पर फिर से विचार करें। उन्होंने लंदन और न्यूयॉर्क जैसे शहरों का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां दो हवाई अड्डे हैं और सरकार को निश्चित रूप से बेंगलूरु को लेकर इस पर विचार करना चाहिए।
प्रयास जारी रखेंगे: पीसी मोहन पत्रिका से बातचीत करते हुए पीसी मोहन ने कहा कि वो अगले महीने फिर एक बार इस मुद्दे को उठाएंगे। केम्पेगौड़ा हवाई अड्डे पर पिछले 10 वर्षों के दौरान यात्रियों की संख्या कितनी बढ़ी और उन्हें संभालने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए। इसके साथ ही अगले 10 वर्ष में यात्रियों की संख्या और कितनी हो जाएगी और क्या केम्पेगौड़ा उस समय यात्रियों की भीड़ संभाल सकेगा। इन तमाम जानकारियों और सवालों के साथ नागरिक उड्डयन मंत्रालय के साथ चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रयास जारी है लेकिन फिलहाल हवाई अड्डा खुलने की उम्मीद नहीं है।