मोबाइल टॉवर लगाने के नियम और टेलीकॉम कंपनियों से वसूला जाने वाला शुल्क तय करने का फैसला लिया गया है। इसका मसौदा तैयार है और इसे अंतिम रूप देने के लिए राजपत्र में अधिसूचना जारी होगी। शहरी विकास विभाग से जारी होने वाले दिशा निर्देश केअनुसार मोबाइल टॉवर लगाने से पहले स्थानीय निकायों, नगर पालिका, नगरसभा, नगर पालिका, टाउन पंचायत और ग्राम पंचायतों के अध्यक्ष, मुख्य कार्यकारी अधिकारी या नगर निगम आयुक्त से मंजूरी लेना अनिवार्य है। इसके अलावा टॉवर का विवरण देना जरूरी है।
जमीन पर स्थापित किए जाने वाला टॉवर, मकानों की छत पर स्थापित होने वाले टॉवर और भवन पर लगने वाले पोल टॉवर के लिए मंजूरी लेना अनिवार्य है। शहरी विकास विभाग ने मंजूरी के बैगर स्थापित टॉवर्स हटाने का अधिकार स्थानीय निकायों को दिया है। मंजूरी प्राप्त करने के बाद दूसरे तरीके से टॉवर लगाने पर भी कार्रवाई होगी और उसे हटाया जाएगा। पूरे प्रदेश में टॉवर लगाने वाली कंपनियों से शुल्क लेने के निर्देश दिए गए हैं। पालिका के कर एवं आर्थिक स्थाई समिति के चेयरमैन एम.के.गुणशेखर ने पत्रकारों को बताया कि पालिका को अभी तक विभाग से दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं।
अवैध रूप से स्थापित टॉवर्स से जुर्माना संग्रहित करने का फैसला लिया है। हर टॉवर से ५० हजार रुपए शुल्क लिया जाएगा। पहले से ही स्थीपित टावरों से शुल्क का भुगतान नहीं हुआ तो ऐसे टॉवर्स को हटाया जाएगा। अगर पालिका और सरकार के दिशा निर्देशों में अंतर है, तो इसे सही किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पालिका क्षेत्र में हर माह ५० हजार, नगर निगम क्षेत्र में ४० हजार, नगर पालिका क्षेत्र में ३० हजार, नगरसभा में २० हजार, टाउन पंचायतों में १५ हजार और ग्राम पंचायतों के क्षेत्र में १० हजार रुपए शुल्क निर्धारित किया जाएगा।