हालांकि, बीबीएमपी चुनावों में भाजपा 101 सीटों (एक निर्दलीय को मिलाकर) के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन कांग्रेस के 76 और जद (ध) के 14 पार्षदों को छह निर्दलीय पार्षदों का साथ मिला और गठबंधन ने सत्ता संभाली। गठबंधन फार्मूला के तहत कांग्रेस का महापौर और जद (ध) का उपमहापौर बना। हालांकि, बीबीएमपी में भाजपा ने बहुमत हासिल कर लिया था लेकिन महापौर के चुनाव में विधायकों, विधानपरिषद के सदस्यों और सांसदों के वोट भी शामिल होते हैं जिससे वह बहुमत के आंकड़े से पिछड़ गई। दरअसल, महापौर के चुनाव के लिए कुल 266 मत हो जाते हैं। वर्ष 2015 में बीबीएमपी की सत्ता पर काबिज होने के लिए कांग्रेस-जद (ध) के बीच बना गठबंधन वर्ष 2018 में प्रदेश स्तर भी लागू हुआ। लेकिन, चूंकि मुख्यमंत्री का पद जद (ध) नेता एचडी कुमारस्वामी को मिला, लिहाजा पार्टी के नेता बीबीएमपी भी अब वहीं फार्मूला चाहते हैं।
अब जद (ध) के पार्षद लोकसभा चुनावों से पहले महापौर का पद मांगने लगे हैं। उनकी नजर प्रदेश की राजधानी पर अपनी पकड़ मजबूत करने पर है। जद (ध) के विधान परिषद सदस्य सरवण्णा ने कहा कि वे कांग्रेस को पिछले तीन साल से कांग्रेस का समर्थन करते आ रहे हैं। उन्होंने महापौर पद तीन वर्षों तक संभाला, लेकिन अब उन्हें यह पद जद (ध) को देना चाहिए। यह सही समय है। पार्टी निश्चित तौर पर उनसे यह मांग करेगी। उन्हें विश्वास है कि कांग्रेस इनकार नहीं करेगी। पार्टी के विधायक गोपालय्या भी इसको लेकर उत्सुक नजर आए।
उन्होंने कहा कि इस बारे में वे पार्टी आलाकमान से चर्चा करेंगे और फैसला करेंगे। वर्तमान महापौर संपत राज का कार्यकाल तीन महीने में समाप्त हो जाएगा। वहीं कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि जद (ध) ने पिछले साल भी महापौर पद की मांग की थी, लेकिन उन्हें वित्त और कराधान समिति के चेयरमैन का पद देकर मना लिया था। वे उपमहापौर का पद लेकर मान गए थे। लेकिन, इस बार उनकी पार्टी के नेता मुख्यमंत्री हैं। अगर इस बार वे इसकी मांग करते हैं तो संभवत: कांग्रेस को यह पद छोडऩा पड़ेगा। तब जद (ध) का महापौर और कांग्रेस का उप महापौर बन सकता है।