इसी वर्ष जनवरी में आईखबरों से ऐसा संकेत मिला था कि बीडीए मौजूदा इमारत को ध्वस्त कर वहां एक दो ब्लॉक वाले मार्केट का निर्माण करेगा जिसकी लागत 657 करोड़ रुपए आएगी। इस लागत में मौजूदा किराएदारों का पुनर्वास करना भी शामिल था। मौजूदा बीडीए कॉम्प्लेक्स मात्र 32 वर्ष पुराना है और स्थानीय लोगों का मानना है कि इसे ध्वस्त करने की जरूरत नहीं है। यह एक सार्वजनिक संपत्ति है और नागरिकों की सेवा के लिए है। ऐसे में बीडीए को ऐसा कोई भी निर्णय लेने से पूर्व नागरिको से सुझाव लेना चाहिए। लोगों का कहना है कि बीडीए की नई योजना से यहां वाणिज्यिक गतिविधियां बढेंगी जो स्थानीय लोग नहीं चाहते हैं। इंदिरा नगर को आवासीय क्षेत्र के रूप में ही रखना चाहिए न कि यहां व्यवसायिक गतिविधियों को बढावा देने की पहल हो।
विरोध को भाजपा सांसदों का समर्थन
प्रदर्शन में भाजपा विधायक रघु और संसद सदस्य पीसी मोहन तथा राजीव चंद्रशेखर भी शामिल हुए। तीनों नेताओं ने कहा कि वे सोमवार को इस मुद्दे पर बीडीए से सम्पर्क करेंगे। उन्होंने कहा कि बीडीए किसी भी सूरत में एनजीटी के नियमों का उल्लंघन नहीं कर सकता है। अगर बीडीए या कोई निजी ठेकेदार ऐसा करता है वे कानून का उल्लंघन करने का जोखिम लेंगे। हम इसकी अनुमति नहीं देंगे और इस विरोध को तार्किक निष्कर्ष पर ले जाएंगे।