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बैंगलोर

मुकाबला नहीं, विपक्षी एकता महत्वपूर्ण: बीके हरिप्रसाद

आम सहमति की परंपरा के विपरीत सरकार चाहती है मुकाबलाटीडीपी का मिला है साथ, बीजद से भी हो रही बात

बैंगलोरAug 09, 2018 / 12:59 am

Rajeev Mishra

b k hariprasad

मुकाबला नहीं, विपक्षी एकता महत्वपूर्ण: बीके हरिप्रसाद

बेंगलूरु. राज्यसभा में उपसभापति पद के चुनाव के लिए विपक्ष के उम्मीदवार नामांकन दाखिल करने वाले वरिष्ठ कांग्रेस नेता बी. के. हरिप्रसाद को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार से आम सहमति की उम्मीद नहीं थी। उनका मानना है कि जो सरकार पिछले चार साल में किसी मुद्दे पर सहमति बनाने की कोशिश नहीं की उससे संयुक्त उम्मीदवार की उम्मीद कैसे करें।
पत्रिका के साथ विशेष बातचीत के दौरान उम्मीदवार के नाम पर सहमति नहीं बन पाने पर हरिप्रसाद ने कहा कि ‘क्या कर सकते हैं। संसद चलाना तो सरकार की जवाबदेही है। अभी तक परंपरा भी यही रही है कि उपसभापति का चुनाव आम सहमति से होता रहा है। लेकिन, जब सरकार की ही मंशा है कि मुकाबला हो तो ठीक है। मुकाबला होगा।’
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव हरिप्रसाद ने कहा कि वे मुकाबले के लिए तैयार हैं और सदन के पटल पर साबित हो जाएगा कि कौन कितने पानी में है। उन्होंने कहा कि ‘मुकाबला ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है। मुकाबले से अधिक महत्वपूर्ण है विपक्ष की एकजुटता और मैं विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार हूं। सारा विपक्ष एकजुट होकर लड़ रहा है। यह एक बड़ी बात है।
एनडीए उम्मीदवार हरिवंश नारायण सिंह के खिलाफ रणनीति और कुछ विपक्षी पार्टियों के साथ नहीं आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यूपीए के सभी घटक दल पहले से ही साथ हंै और अब उसमें तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) भी आ गई है। अब और क्या चाहिए। वहीं बीजू जनता दल (बीजेडी) के रुख पर उन्होंने कहा कि अभी उनका फैसला नहीं आया है। बीजू जनता दल का फैसला गुरुवार तक आ जाएगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उनसे बात कर रहे हैं। किससे किनको बात करना है इसपर विचार करेंगे। सदन पटल पर हमारी रणनीति स्पष्ट हो जाएगी। इसकी चर्चा सार्वजनिक रूप से नहीं कर सकते।
बी के हरिप्रसाद (६४) १९७२ से कांग्रेस जुड़े हैं। हरिप्रसाद ने कॉलेज छात्र संघ चुनाव से राजनीति मेंं कदम रखा और कालांतर में २००६ से २०१८ तक कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भी रहे। राज्यसभा में हरिप्रसाद का यह तीसरा कार्यकाल है। १९९० में पहली बार कर्नाटक से राज्यसभा के लिए चुने जाने के साथ हरिप्रसाद ने संसदीय राजनीति में कदम रखा था। इसके बाद हरिप्रसाद २००४ व २०१४ में भी राज्यसभा के लिए चुने गए। बेंगलूरु मेें ही २९ जुलाई १९५४ को जन्मे हरिप्रसाद बेंगलूरु विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक हैं।

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