scriptलिथियम-आयन बैटरी तकनीक के लिए मची होड़ | Over 130 firms show interest in ISRO's lithium-ion battery | Patrika News
बैंगलोर

लिथियम-आयन बैटरी तकनीक के लिए मची होड़

आवेदन-पूर्व प्रक्रियाओं से अवगत कराने के लिए सम्मेलन आयोजित

बैंगलोरJul 16, 2018 / 06:05 pm

Rajeev Mishra

isro

इसरो

बेंगलूरु. उपग्रहों में इस्तेमाल की जाने वाले लिथियम आयन बैटरी के वाणिज्यिक उत्पादन के लिए 130 कंपनियां आगे आई हैं जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से इसकी तकनीक हासिल करने में रुचि दिखा रही हैं। लेकिन, तकनीक के लिए आवेदन देने से पहले इसरो ने इन कंपनियों का एक सम्मेलन विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में 17 जुलाई को आयोजित किया है। इसरो के इस प्रमुख केंद्र ने लिथियम-आयन बैटरी तकनीक विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
इसरो के उच्च पदस्थ अधिकारियों के मुताबिक इस सम्मेलन में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया जाएगा और जो कंपनियां इसमें आगे आएंगी उनका मार्गदर्शन किया जाएगा। इन कंपनियों के लगभग 250 टेक्नोक्रेट इस सम्मेलन में भाग लेंगे जो कि तकनीकी हस्तांतरण के लिए रिकॉर्ड भागीदारी है। वीएसएससी के निदेशक एस.सोमनाथ ने कहा कि इसरो की यह नीति रही है कि सामाजिक अनुप्रयोगों के लिए इसरो की तकनीक का इस्तेमाल हो। जो कंपनियां इसमें रुचि दिखाएंगी उन्हें इसरो की इस परिपक्व प्रौद्योगिकी हस्तांतरित की जाएगी। वीएसएससी ने अंतरिक्ष मिशनों के लिए लिथियम-आयन बैटरी का सफलतापूर्वक विकास किया है जिसका उपयोग हो रहा है। इस बैटरी के अनुप्रयोगों का दायरा तब और बढ़ गया जब 50 एएच और 100 एएच क्षमता वाली लिथियम आयन बैटरी मोटर वाहनों में कारगर साबित हुई।
वीएसएससी निदेशक ने कहा कि तकनीकी हस्तांतरण की प्रक्रिया दस्तावेजों के हस्तांतरण के साथ शुरू होगी। चयनित कंपनियां वीएसएससी आकर बैटरी तकनीक से खुद परिचित होंगी। इसरो के पास मानव शक्ति इतनी नहीं है कि वह तकनीकी खरीदने वाली कंपनियों के यहां उन्हें भेज सके। तकनीक खरीदने वाली कंपनियों को यह छूट होगी कि वे बाजार की जरूरतों के मुताबिक इस तकनीक में और इनोवेशन कर सकें। इसरो अपने कार्यक्रमों के लिए पर्याप्त बैटरी का उत्पादन कर लेता है लेकिन वाणिज्यिक उपयोग के लिए बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए उद्योगों को आगे आना ही होगा। इसरो 1.5 एम्पीयर से लेकर 100 एम्पीयर क्षमता तक की लिथियम बैटरी का उत्पादन अंतरिक्ष कार्यक्रमों के उपयोग के हिसाब से करता है। निजी उद्योगों को दिए जाने वाले इस तकनीक के बदले इसरो कोई रॉयल्टी नहीं लेगा। उसका उद्देश्य बस इतना है कि उद्योगों को इस योग्य बनाया जाए कि वे इसका उत्पादन कर सकें।
इससे पहले पिछले ही महीने इसरो ने घोषणा की थी कि वह लिथियम आयन बैटरी के वाणिज्यिक उपयोग के लिए उद्योगों को तकनीक हस्तांतरण करने को तैयार है। इसके लिए रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशन (आरएफक्यू) जारी किया गया था। आरएफक्यू एक ऐसी मानक व्यापार प्रक्रिया है जिसके तहत कंपनियों को बोली प्रक्रिया में आमंत्रित किया जाता है। आरएफक्यू में कहा गया था कि तिरुवनंतपुरम स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) लिथियम आयन बैटरी की तकनीक हस्तांतरित करने के लिए योग्य भारतीय उद्योगों से आवेदन आमंत्रित करता है। इसरो एक करोड़ रुपए में ऑटोमोबाइल में उपयोग के लिए गैर विशिष्टता आधार पर (नन-एक्सक्लूसिव) भारतीय उद्योगों को हस्तांतरित करने को तैयार है। इसरो की इस पहले से शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी और स्वदेशी इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास में तेजी आएगी।

Home / Bangalore / लिथियम-आयन बैटरी तकनीक के लिए मची होड़

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो