कर्नाटक विधानसभा को पेपरलेस बनाने में आड़े आ रही यह ‘अजीब बाधा’
ई-विधान के आगे विरासत बचाने की चुनौती
राज्य विधानमंडलों के पेपरलेस और डिजिटल के लिए 750 करोड़ रूपए का प्रावधान रखा गया है
बेंगलूरु. ऐसा लगता है कि कर्नाटक विधानसौधा को पेपरेलेस बनाने की योजना पेपर पर ही सिमट कर जाएगी, क्योंकि ई-विधान अपनाने कर्नाटक को एक अजीब बाधा का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले तीन-चार वर्ष से हर बार राज्य में बजट में भी पेपरलेस प्रक्रिया अपनाने की पुनरावृति हो रही है लेकिन यह सिर्फ बजटीय घोषणा की खानापूर्ति बनी है। पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या और एचडी कुमारस्वामी के अतिरिक्त मौजूदा मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा भी ई-विधान प्रणाली अपनाने की बात कर चुके हैं। लेकिन, ये घोषणाएं अब तक साकार नहीं हुई हैं।
यहां तक कि दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने जनवरी 2018 में विधानसभाओं के सचेतकों की एक बैठक में कहा था कि केन्द्र सरकार देश के सभी राज्यों के विधानमंडलों को पेपरलेस और डिजिटल करने को लेकर प्रयास कर रही है। इसके लिए 750 करोड़ रूपए का प्रावधान रखा गया है। अगले पांच वर्षों में ई-विघान कार्यक्रम के तहत सभी राज्यों की विधानसभाओं और विधान परिषदों को पेपरलेस किया जाएगा। इस घोषणा के डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी देश में हिमाचल प्रदेश को छोडक़र कोई भी विधानमंडल पेपर लेस नहीं हो पाया है। वहीं, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने अगस्त के पहले सप्ताह में संसद में घोषणा की थी देश के सभी विधानसभाओं को पेपरलेस करने की योजना है।
विधानसौधा की विरासतीय इमारत बनी बाधा
राज्य सरकार ने ई-विधान अपनाने में रुचि दिखाई है, लेकिन विधानसौधा की विरासतीय इमारत ही इसमें एक बड़ी बाधा बन गई है। देश के सबसे आकर्षक विधानसभा भवनों में एक विधानसौधा का शिलान्यास वर्ष १९५१ में हुआ था और १९५६ में उद्घाटन हुआ। नव-द्रविड़ शैली में बनी यह इमारत भारतीय स्थापत्य कला का शानदार उदाहरण है। ई-गवर्नेंस विभाग के सूत्रों की मानें तो ई-विधान लागू करने के लिए विधानसौधा की इमारत में बड़े स्तर पर केबल बिछाने होंगे। चूंकि यह एक विरासतीय संरचना है इसलिए केबल बिछाने के पूर्व कई प्रकार की स्वीकृतियां चाहिएं। साथ ही विशेषज्ञों के सुझाव के अनुरूप ही केबल बिछाने के लिए तोडफ़ोड़ किया जा सकता है। वहीं इस पूरी प्रक्रिया में इमारत को किसी प्रकार का नुकसान न पहुंचे इसे सुनिश्चित करना होगा। इसलिए विशेषज्ञों के सुझाव के बाद ही ई-विधान के इस चुनौतीपूर्ण कार्य की व्यवहार्यता पर विचार संभव है।
कागज से मुक्ति दिलाएगा ई-विधान
ई-विधान लागू होने पर विधानमंडल सत्र के दौरान प्रश्न-उत्तर, सदन की कार्यवाही की जानकारी सहित विधायकों, कर्मचारियों और मीडिया को जारी होने वाले तमाम दस्तावेजों इलेक्ट्रॉनिक होंगे। सदन का रिकॉर्ड भी पूरी कागजों पर मुद्रित नहीं होगा बल्कि वह इलेक्ट्रॉनिकली रिकॉर्डेड रहेगा और इसे ऑनलाइन देखा या सुना जा सकेगा। इसके लिए एक विशेष गैजेट की मदद ली जाएगी।
हिमाचल प्रदेश में लागू है ई-विधान
देश में हिमाचल प्रदेश ई-विधान लागू करने वाला पहला और एक मात्र राज्य बन चुका है। कर्नाटक विधानसभा के पूर्व स्पीकर केबी कोलीवाड के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने ई-विधान कार्यान्वयन का अध्ययन करने के लिए हिमाचल का दौरा भी किया था। हालांकि, विधानसौधा में इसे क्रियान्वित करने की बाधा अब तक दूर नहीं की जा सकी है।
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