scriptआत्मा के आरोहण का पर्व है पर्युषण | Paryushan is the festival of soul ascension | Patrika News
बैंगलोर

आत्मा के आरोहण का पर्व है पर्युषण

वासुपूज्य स्वामी जैन मंदिर में आचार्य देवेंद्रसागर के चातुर्मास प्रवचनहमेशा बहिर्भावों में रमण करने वाला जीव पर्युषण पर्व के आते ही आत्माभिमुख होकर जीव, जगत और परमात्मा के बारे में सोचने लगता है

बैंगलोरAug 24, 2019 / 08:19 pm

Rajendra Vyas

आत्मा के आरोहण का पर्व है पर्युषण

आत्मा के आरोहण का पर्व है पर्युषण

बेंगलूरु. वासुपूज्य स्वामी जैन मंदिर में चातुर्मास कर रहे आचार्य देवेंद्रसागर ने शुक्रवार के प्रवचन में कहा कि हमेशा बहिर्भावों में रमण करने वाला जीव पर्युषण पर्व के आते ही आत्माभिमुख होकर जीव, जगत और परमात्मा के बारे में सोचने लगता है। पर्युषण पर्व आत्मा के आरोहण का पर्व है। मोह के वशीभूत होकर जीव पूरा जीवन तो संसार चक्र में फंसा रहता है पर पर्युषण पर्व के निमित्त से जागृत हो कर धर्म आराधना करता है। आचार्य ने कहा कि पर्युषण पर्व आत्मा की आराधना का अपूर्व अवसर है, इसका आयोजन भी सोच समझ कर किया गया है। अन्य धर्मी समझते हैं कि जैनियों का पर्युषण पर्व उपवास करने का पर्व हैं। परंतु यह सिर्फ बाह्य परिचय है जबकि पर्युषण पर्व की सच्ची आराधना अभ्यंतर तप है। पर्यूषण पर्व महावीर स्वामी के मूल सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म, जिओ और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है तथा मोक्ष प्राप्ति के द्वार खोलता है। इस पर्वानुसार- ‘संपिक्खए अप्पगमप्पएणंÓ अर्थात आत्मा के द्वारा आत्मा को देखो।जरूरी है कि प्रमादरूपी नींद को हटाकर इन आठ दिनों विशेष तप, जप, स्वाध्याय की आराधना करते हुए अंर्तआत्मा में लीन हो जाएं जिससे हमारा जीवन सार्थक व सफल हो पाएगा।
जहां भोग वहां तप नहीं टिकता
चामराजपेट महावीर स्वामी जैन श्वेतांबर संघ में विराजमान मुनि संयमप्रभ विजय ने कहा कि तप और भोग, दोनों एक दूसरे के विरुद्ध हैं। जहां पर तप होता है वहां पर भोग नहीं होता और जहां पर भोग होता है वहां पर तप नहीं टिकता। तप के पीछे सुख है, वैसे भोग के पीछे दुख है।

Home / Bangalore / आत्मा के आरोहण का पर्व है पर्युषण

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो