तप से होता है कठिन कर्मों का नाश
बेंगलूरु. जिनकुशल सूरी जैन दादावाड़ी बसवनगुड़ी मेें जैनाचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर की निश्रा में साध्वी सुधाश्री की विर्धमान तप की 98वीं ओली के पूर्णाहुति निमित्त तप और तपस्वी वंदना का आयोजन किया गया। धर्मसभा में जैनाचार्य ने कहा कि तप से कठिन कर्मों का भी नाश हो जाता है अत: यथाशक्ति तप धर्म की आराधना करनी चाहिए। परंतु तप करने की हमारी शिक्त मर्यादित है। इस जगत में होने वाले सारे सुकृतों में हम अनुमोदना से भागीदारी कर सकते हैं। तप की अनुमोदना से हमारे जीवन में रही स्वाद की गुलामी और तप के अंतरायों का नाश होता है। आराधना भवन में 18 मई तक प्रतिदिन सुबह 9.30 बजे से ‘नारी तू नारायणीÓ विषय पर प्रवचन होंगे।
भगवान शांतिनाथ के स्मरण से दूर हो जाती है अशांति
बेंगलूरु. शांतिनगर स्थित जैन स्थानक भवन में भगवान शांतिनाथ का जन्म एवं निर्वाण कल्याणक रविवार को सामूहिक सामायिक आराधना के साथ मनाया गया। इस अवसर पर जयधुरन्धर मुनि ने कहा कि भगवान शांतिनाथ का नाम समरण करने मात्र से अशांति दूर हो जाती है और शांति की प्राप्ति हो जाती है। वो एक ऐसे पुण्यवान तीर्थंकर थे कि उनके जन्म से ही नगर में फैली महामारी दूर हो गई। सभा की शुरुआत जयकलश मुनि ने शांति जाप से की। जयपुरन्दर मुनि ने शांति जाप का महत्व बताया। स्वागत मंत्री छगनलाल लुणावत ने किया।