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बैंगलोर

चंद्रयान-2 के बाद कल पहला मिशन लांच करेगा इसरो, तिरुमला मंदिर पहुंचे शिवन

उलटी गिनती निर्बाध जारी, कार्टोसैट-3 सहित 14 उपग्रहों का होगा प्रक्षेपण

बैंगलोरNov 26, 2019 / 09:02 pm

Rajeev Mishra

चंद्रयान-2 के बाद कल पहला मिशन लांच करेगा इसरो, तिरुमला मंदिर पहुंचे शिवन

चंद्रयान-2 के बाद कल पहला मिशन लांच करेगा इसरो, तिरुमला मंदिर पहुंचे शिवन

बेंगलूरु.

किफायती अंतरिक्ष अभियानों से अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) बुधवार सुबह 9.28 बजे एक ही मिशन में 14 उपग्रहों को पृथ्वी की सूर्यसमकालिक कक्षा में स्थापित कर एक और बड़ी कामयाबी हासिल करेगा। इस मिशन के तहत इसरो अपने विश्वसनीय धु्रवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी सी-47 (एक्सएल) से उन्नत भू-अवलोकन उपग्रह कार्टोसैट-3 व 13 अन्य विदेशी उपग्रहों को प्रक्षेपित करेगा। इसके लिए मंगलवार सुबह 7.28 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी, शार) के दूसरे लांच पैड पर पीएसएलवी सी-47 प्रक्षेपण की 26 घंटे की उलटी गिनती शुरू हो गई। इसरो अधिकारी ने बताया कि उलटी गिनती सुचारू रूप से चल रही है। अभी तक कहीं कोई बाधा नहीं आई है। श्रीहरिकोटा का मौसम प्रक्षेपण के अनुकूल है। इस बीच इसरो अध्यक्ष के.शिवन ने मंगलवार को परंपरा के मुताबिक तिरुमला मंदिर जाकर भगवान वेंकटेश्वर की पूजा अर्चना की।फुर्तीला उपग्रह, पैनी निगाह कार्टोसैट-3 एक उन्नत और बेहद फुर्तीला उपग्रह है जो पैंक्रोमेटिक एवं मल्टीस्पेक्ट्रल तस्वीरें लेने में सक्षमत है। इस उपग्रह के पे-लोड धरती की 0.25 मीटर छोटी सी छोटी वस्तु की तीक्ष्ण तस्वीरें उतारने में सक्षम हैं। ये पे-लोड एक बार में 16 किमी लंबा क्षेत्र कवर करते हुए एक मीटर के रिजोल्यूशन की तस्वीरें भेजेंगे। इसरो ने कहा है कि कार्टोसैट-3 में कई उन्नत तकनीकों का पहली बार उपयोग किया जा रहा है। इस उपग्रह की संरचना ऐसे प्लेटफार्म पर की गई है कि इसे बेहद फुर्तीला उपग्रह माना जा रहा है। यह उपग्रह अत्यंत उच्च दर से डाटा संग्रहित कर उसे संचारित करने में सक्षम है। उपग्रह के कंप्यूटर, पावर सिस्टम और एंटीना में भी अत्याधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया गया है।
नागरिक और सामरिक सेवाओं में उपयोगी

इस उपग्रह को धरती से 509 किमी ऊपर सूर्य समकालिक कक्षा (एसएसओ) में स्थापित किया जाएगा। यह उपग्रह 97.5 डिग्री के कोण पर झुका रहेगा और पांच साल तक देश को अपनी सेवाएं प्रदान करेगा। कार्टोसैट-3 की तस्वीरों का उपयोग शहरी नियोजन, ग्रामीण संसाधनों के संवर्धन, बुनियादी ढांचे के विकास, तटीय और जमीनी क्षेत्रों की निगरानी के साथ-साथ सामरिक और रक्षा उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। इसरो ने कहा है कि उसका काम तस्वीरें प्रदान करना है, उपयोग एजेंसियों के ऊपर निर्भर है।
प्रक्षेपण से कमाई भी

कार्टोसैट-3 के साथ 13 अमरीकी उपग्रहों का भी प्रक्षेपण किया जाएगा। इसरो की नवगठित वाणिज्यिक इकाई न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआइएल) ने इसके प्रक्षेपण के लिए करार किया है। प्रक्षेपण के करीब 17 मिनट 42 सेकेंड बाद कार्टोसैट-3 पीएस-4 से अलग होगा और अपनी कक्षा में स्थापित होगा। विदेशी कस्टमर का पहला उपग्रह 18 मिनट 22 सेकेंड पर अपनी कक्षा में स्थापित होगा और उसके बाद एक-एक कर सभी उपग्रहों के निकलने का सिलसिला शुरू होगा और 26 मिनट 50 सेकेंड में सभी उपग्रह धरती की कक्षा में स्थापित हो जाएंगे। पीएसएलवी सी-47 (एक्सएल) 44 मीटर ऊंचा और 320 टन वजनी चार चरणों वाला रॉकेट है जिसमें ठोस और तरल ईंधन का उपयोग किया जाता है। उलटी गिनती के दौरान इस रॉकेट के चौथे और दूसरे चरण में तरल ईंधन भरा जाता है जो निर्बाध जारी था।
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