नागरिक और सामरिक सेवाओं में उपयोगी इस उपग्रह को धरती से 509 किमी ऊपर सूर्य समकालिक कक्षा (एसएसओ) में स्थापित किया जाएगा। यह उपग्रह 97.5 डिग्री के कोण पर झुका रहेगा और पांच साल तक देश को अपनी सेवाएं प्रदान करेगा। कार्टोसैट-3 की तस्वीरों का उपयोग शहरी नियोजन, ग्रामीण संसाधनों के संवर्धन, बुनियादी ढांचे के विकास, तटीय और जमीनी क्षेत्रों की निगरानी के साथ-साथ सामरिक और रक्षा उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। इसरो ने कहा है कि उसका काम तस्वीरें प्रदान करना है, उपयोग एजेंसियों के ऊपर निर्भर है।
प्रक्षेपण से कमाई भी कार्टोसैट-3 के साथ 13 अमरीकी उपग्रहों का भी प्रक्षेपण किया जाएगा। इसरो की नवगठित वाणिज्यिक इकाई न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआइएल) ने इसके प्रक्षेपण के लिए करार किया है। प्रक्षेपण के करीब 17 मिनट 42 सेकेंड बाद कार्टोसैट-3 पीएस-4 से अलग होगा और अपनी कक्षा में स्थापित होगा। विदेशी कस्टमर का पहला उपग्रह 18 मिनट 22 सेकेंड पर अपनी कक्षा में स्थापित होगा और उसके बाद एक-एक कर सभी उपग्रहों के निकलने का सिलसिला शुरू होगा और 26 मिनट 50 सेकेंड में सभी उपग्रह धरती की कक्षा में स्थापित हो जाएंगे। पीएसएलवी सी-47 (एक्सएल) 44 मीटर ऊंचा और 320 टन वजनी चार चरणों वाला रॉकेट है जिसमें ठोस और तरल ईंधन का उपयोग किया जाता है। उलटी गिनती के दौरान इस रॉकेट के चौथे और दूसरे चरण में तरल ईंधन भरा जाता है जो निर्बाध जारी था।