साध्वी ने कहा कि जब तक स्वयं की मानसिकता नहीं बदलती तब तक कोई दूसरा कुछ नहीं कर सकता। पुरुषार्थ व्यक्ति को स्वयं ही करना पड़ेगा तभी कुछ परिवर्तन हो सकता है। मनुष्य जीवन एक उजली चादर की तरह है। मनुष्य उस चादर को कैसे रखता है यह उसी के विवेक व आचरण पर निर्भर करता है। दृष्टिकोण सम्यक रहे, अंतर प्रज्ञा जागृत रहे, प्रशस्त चिंतन और क्रियान्वयन का योग बना रहे तो उजली जीवन चादर की आभा बढ़ाई जा सकती है।
अपेक्षा यह है कि व्यक्ति अपने आप को समझने का प्रयास करें। ज्ञानशाला की बालिका हियांसी बाफना व डोली बाफना ने परिषद द्वारा पूछे गए 25 बोल, भक्तामर के पदों का स्पष्ट एवं शुद्ध उच्चारण कर परिषद को रोमांचित कर दिया। तेरापंथी सभा, बेंगलूरु की ओर से महावीर धोका, प्रकाश लोढ़ा, बाबूलाल बाफना, सज्जन पितलिया,नरेंद्र रायसोनी ने बालिका को पुरस्कृत किया।