पुरुषार्थ से होता है परिवर्तन: साध्वी अणिमाश्री
गांधीनगर में प्रवचन

बेंगलूरु. साध्वी अणिमाश्री ने गांधीनगर तेरापंथ भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य जैसा करता है वैसा भरता है। हमें चिंतन करना चाहिए कि जब व्यक्ति ही कर्म करता है और वही उस फल को भोगने वाला है तब क्यों नहीं वह अपने मन ,वाणी और कर्म को पवित्र रखे। पवित्रता, निर्मलता, करुणा आदि व्यक्ति के निजी गुण हैं और स्वयं ही अपनी समझ एवं चिंतन व क्रियान्वयन के द्वारा उन्हें विशुद्ध बना सकता है।
साध्वी ने कहा कि जब तक स्वयं की मानसिकता नहीं बदलती तब तक कोई दूसरा कुछ नहीं कर सकता। पुरुषार्थ व्यक्ति को स्वयं ही करना पड़ेगा तभी कुछ परिवर्तन हो सकता है। मनुष्य जीवन एक उजली चादर की तरह है। मनुष्य उस चादर को कैसे रखता है यह उसी के विवेक व आचरण पर निर्भर करता है। दृष्टिकोण सम्यक रहे, अंतर प्रज्ञा जागृत रहे, प्रशस्त चिंतन और क्रियान्वयन का योग बना रहे तो उजली जीवन चादर की आभा बढ़ाई जा सकती है।
अपेक्षा यह है कि व्यक्ति अपने आप को समझने का प्रयास करें। ज्ञानशाला की बालिका हियांसी बाफना व डोली बाफना ने परिषद द्वारा पूछे गए 25 बोल, भक्तामर के पदों का स्पष्ट एवं शुद्ध उच्चारण कर परिषद को रोमांचित कर दिया। तेरापंथी सभा, बेंगलूरु की ओर से महावीर धोका, प्रकाश लोढ़ा, बाबूलाल बाफना, सज्जन पितलिया,नरेंद्र रायसोनी ने बालिका को पुरस्कृत किया।
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