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बैंगलोर

इस बार मध्याह्न भोजन में रागी बॉल, ज्वार की रोटी नहीं

दक्षिण कर्नाटक के सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के बच्चों को रागी बॉल जबकि उत्तर कर्नाटक के ऐसे स्कूलों के बच्चों को ज्वार की रोटी परोसे जाने थे।

बैंगलोरNov 24, 2022 / 08:07 pm

Nikhil Kumar

परीक्षा के दौरान भी मिलेगा Mid Day Meal, निदेशालय ने दिए निर्देश

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चिकित्सक और शिक्षाविद मध्याह्न भोजन को ज्यादा से ज्यादा पौष्टिक बनाने पर जोर दे रहे हैं। भोजन में रागी और ज्वार शामिल करने की सरकारी घोषणा से बच्चों की शारीरिक प्रतिरक्षा प्रणाली के मजबूत होने की उम्मीद बढ़ी थी। लेकिन, सरकार की यह योजना फिलहाल खटाई में पड़ गई है। इस बार भी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के बच्चों के मध्याह्न भोजन से रागी बॉल और ज्वार की रोटी गायब रहेगी। वजह हैरान करने वाली है। अधिकारियों के अनुसार रागी और ज्वार की गुणवत्ता खराब है।

दक्षिण कर्नाटक के सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के बच्चों को रागी बॉल जबकि उत्तर कर्नाटक के ऐसे स्कूलों के बच्चों को ज्वार की रोटी परोसे जाने थे। लेकिन, लोक शिक्षण विभाग में मध्याह्न भोजन योजना की प्रमुख अनीता एन. ने कर्नाटक खाद्य और नागरिक आपूर्ति निगम के पास उपलब्ध खाद्यान्न की खराब गुणवत्ता के कारण इस वर्ष रागी बॉल और ज्वार की रोटी परोसने की संभावना से इनकार किया है।

अनीता ने कहा, ’हम आमतौर पर केंद्र सरकार के भारतीय खाद्य निगम से चावल और गेहूं खरीदते हैं। रागी, बाजरा और मक्का कर्नाटक के स्थानीय हैं, हमें मध्याह्न भोजन योजना के लिए बड़े पैमाने पर उत्पादन की आवश्यकता थी। हालांकि, खाद्यान्न ताजा नहीं थे और पोषण मूल्य खराब था। इसलिए हमने इस शैक्षणिक वर्ष में योजना को लागू नहीं करने का फैसला किया है। बजट सत्र से पहले, हम एक बैठक करेंगे और खाद्यान्न की खरीद के लिए धनराशि निर्धारित करेंगे, ताकि हम अगले शैक्षणिक वर्ष से रागी बॉल और रोटियां परोस सकें।’ पौष्टिकता से जुड़े एक सवाल के जवाब में अनीता ने कहा कि मध्याह्न भोजन की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग पहले से ही सप्ताह में दो बार अंडे, केला या चिक्की मुहैया करा रहा है। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, राज्य में छात्रों के बीच अंडों की मांग काफी अधिक है।

 

दो से ढाई घंटे हुई परीक्षा लिखने की अवधि

मैसूरु @ पत्रिका. मैसूरु विश्वविद्यालय (यूओएम) ने प्रथम ग्रेड कॉलेजों के प्राचार्यों से परामर्श के बाद स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए परीक्षा लिखने की अवधि को दो घंटे से बढ़ाकर ढाई घंटे करने का फैसला किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत परीक्षा की अवधि तीन घंटे से घटाकर दो घंटे कर दी गई थी। हालांकि, परीक्षा लिखने के लिए समय कम करने पर सिंडिकेट और अकादमिक परिषद की बैठकों के दौरान अलग-अलग राय व्यक्त की गई थी। यूओएम को बाद में प्राचार्यों की बैठक बुलाने और परीक्षा की अवधि पर उनकी राय जानने के लिए कहा गया था।

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