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ब्लैकमनी पर लगाम के लिए एक हजार के नोट बंद करने की तैयारी

कालाधन रोकने की सरकारी कवायद नाकाफी साबित हुई है। अब 1,000 रुपए के करंसी नोट को बंद करने की तैयारी है। सरकारी सूत्रों की मानें तो यह कदम मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है, क्योंकि 45 फीसदी टैक्स चुकाकर ब्लैकमनी को व्हाइट करने की नई स्कीम 65,000 करोड़ रुपए ही घोषित करवा पाई।

बैंगलोरOct 14, 2016 / 05:22 pm

Kamlesh Sharma

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कालाधन रोकने की सरकारी कवायद नाकाफी साबित हुई है। अब 1,000 रुपए के करंसी नोट को बंद करने की तैयारी है। सरकारी सूत्रों की मानें तो यह कदम मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है, क्योंकि 45 फीसदी टैक्स चुकाकर ब्लैकमनी को व्हाइट करने की नई स्कीम 65,000 करोड़ रुपए ही घोषित करवा पाई। 
जबकि एक्सपर्ट का मानना है कि पूरी इकोनॉमी का 62 फीसदी ब्लैकमनी है, यानी हर साल 90 लाख करोड़ रुपए का ब्लैकमनी सर्कुलेट होता है। साफ तौर पर 62 फीसदी इकोनॉमिक एक्टिविटीज गैर-कानूनी हैं। शेयर मार्केट की चकाचौंध के पीछे भी ब्लैकमनी का बड़ा खेल है। 
आईटी डिपार्टमेंट के आंकड़ों के अनुसार, 2013-14 के 32 लाख करोड़ रुपए की तुलना में महज एक साल यानी 2014-15 में स्टॉक मार्केट का कुल टर्नओवर बढ़कर 66 लाख करोड़ रुपए हो गया। इस तरह शेयर मार्केट में 30 लाख करोड़ रुपए का ब्लैकमनी सर्कुलेट होने का अनुमान है।
बेअसर साबित होगा यह कदम

ब्लैकमनी का मामला नया नहीं है। 1978 में सरकार ने 5,000 और 10,000 रुपए के करंसी नोट को बंद करने का फैसला किया था। लेकिन उसके असर सबके सामने हैं। वैसे भी करंसी सर्कुलेशन महज 16 लाख करोड़ रुपए का है, जबकि इकोनॉमी का साइज लगभग 145 लाख करोड़ रुपए है। सरकार का यह दावा कि डिजिटल ट्रांजैक्शन से करंसी अप्रासंगिक हो जाएंगे, अधूरा सच है। 
सच्चाई यह है कि बगैर करंसी नोट के बड़े-बड़े फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन व डीलें हो रही हैं। रोबर्ट वाड्रा व 2जी से जुड़ी एयरसेल-मेक्सिस डील सबसे सामने हैं। मामूली कीमत पर बेशकीमती जमीन लेकर बड़ी कीमत पर टॉप रियल एस्टेट कंपनी को बेचने का मामला ब्लैकमनी ही तो था। 
हवाला के जरिए भी बड़ी रकम विदेश भेजी जा रही है। ब्लैकमनी का मामला टेक्निकल नहीं, बल्कि पॉलिटिकल है। इसलिए इसका सॉल्यूशन भी पॉलिटिकल ही हो सकता है, जबकि सरकार इसे रोकने के लिए टेक्निकल उपायों का सहारा ले रही है।
डॉ. अरुण कुमार, जेएनयू, एक्सपर्ट 

कहां है कैश 

महज 3 फीसदी यानी 4 करोड़ लोगों के पास पूरे करंसी नोट का अधिकांश फीसदी है। अधिकांश कैश बिजनेसमैन, राजनेता और नौकरशाहों के पास है। बाकी लोगों के पास चंद हजार या चंद लाख रुपए हो सकते हैं।
इस कदम का क्या होगा तत्काल असर

डॉ अरुण कुमार के अनुसार, 1,000 रुपए के करंसी नोट को चलन से बाहर करने के निगेटिव असर ही अधिक होंगे। वैल्यू के आधार पर कुल करंसी नोट में 1,000 और 500 रुपए के करंसी नोट का योगदान 70-80 फीसदी के बीच है। ऐसे में इसका सबसे बड़ा असर कैश इकोनॉमी में कमी के रूप में सामने आएगा। 
इसके कारण मार्केट में लिक्विडिटी कम हो जाएगी, जिसका तुरंत असर बिजनेस एक्टिविटी पर दिखेगा। बिजनेसमैन को काफी मात्रा में कैश रखनी पड़ती है, ऐसे में उन्हें तो परेशानी होगी ही, आम लोग जो कैश में ही ट्रांजैक्शन करते हैं, उन्हें भी परेशानी होगी। 

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