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बैंगलोर

ट्रेनों में जल्द लगेगी उपग्रह आधारित चेतावनी प्रणाली

परीक्षण उत्साहजनक, मानव रहित फाटकों पर कारगर होगी तकनीक

बैंगलोरMay 26, 2018 / 06:20 pm

Rajeev Mishra

railway

ट्रेनों में जल्द लगेगी उपग्रह आधारित चेतावनी प्रणाली

बेंगलूरु. मानव रहित फाटकों पर रेल दुर्घटनाएं रोकने के लिए जल्दी ही उपग्रह आधारित चेतावनी प्रणाली लगाई जाएगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित यह चेतावनी प्रणाली मानव रहित रेलवे क्रासिंग सेे गुजरने वाले लोगों को अलर्ट करेगी ताकि वहां से गुजरते वक्त सावधान रहें।
इसरो के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार उपग्रह आधारित चेतावनी प्रणाली के पहले चरण का परीक्षण हो चुका है। परीक्षण सफल और उत्साहजनक रहा है और यह उपयोग में लाने के लिए अब तैयार है। उधर, अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) के निदेशक तपन मिश्रा ने कहा कि पहले चरण का परीक्षण पूरा होने के बाद इस प्रणाली को लागू करने के लिए भारतीय रेलवे से बातचीत हो रही है। रेलवे इस तकनीक को लेकर पूरी तरह आश्वस्त और संतुष्ट है। इस प्रणाली के उपयोग और उसके प्रदर्शन से वे उत्साहित हैं। भारतीय रेलवे इस प्रणाली को जल्दी लागू करने जा रही है।
इसरो ने कहा है कि इस परियोजना के तहत ट्रेनों के इंजन में इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी) चिप्स लगाए जाएंगे। चिप्स इसरो तैयार करेगा। ये चिप्स मानव रहित फाटकों पर लगाए गए हूटर को चार किलोमीटर दूरी से ही संदेश भेजेंगे। जैसे ही हूटर को संदेश मिलेगा वह बजने लगेगा और वहां से गुजरने वाले यात्री सावधान हो जाएंगे। इन हूटरों को भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस यानी ‘नाविकÓ) से जोड़ा गया है। जब ट्रेन मानव रहित फाटक को पार कर जाएगी ये हूटर स्वत: शांत हो जाएंगे। इसका परीक्षण विभिन्न रूटों पर चलने वाली ट्रेनों में किया गया, जो पूरी तरह सफल रहा है। इसरो अधिकारियों ने कहा है कि यह प्रणाली किसी भी मौसम में कारगर होगी। चाहे मूसलाधार बारिश हो या चिलचिलाती धूप। इसरो के सामने सभी मौसमों में इसे कारगर बनाने की चुनौती थी जिसमें वे पूरी तरह कामयाब हुए। देश में लगभग 11 हजार से अधिक मानव रहित क्रासिंग है जहां इस तकनीक का उपयोग कारगर साबित होगा। इसरो ने नाविक प्रणाली का प्रयोगिक परीक्षण मछुआरों पर भी किया है। समुद्र में जाने वाले मछुआरों की पोजिशनिंग पता करने, उनसे संचार स्थापित करने तथा वे जहां जा रहे हैं वहां से संभावित फिशिंग जोन कहां हैं, इसका पता लगाने का परीक्षण सफल रहा है। इसरो अधिकारियों के मुताबिक आने वाले दिनों में नाविक सहित अंतरिक्ष तकनीक का उपयोग और उसकी मांग बढ़ेगी।

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