हम ध्यान और प्रार्थना के द्वारा इस शांत स्थान पर पहुंच सकते हैं। हमारे अंतर में समस्त दैवी खजाने हैं। हम मात्र शरीर और मन नहीं हैं, बल्कि हम आत्मा हैं। आत्मा ज्योति, प्रेम और आनंद से भरपूर हैं। यदि हम प्रतिदिन कुछ समय अंतरात्मा की शांति में व्यतीत करें तो हम आनंद के एक स्थान से जुड़ जाएंगे। तब हमारी जिंदगी की बाहरी परिस्थितियां हमें प्रभावित नहीं करेंगी।
हालात हमेशा ऐसे ही नहीं रहेंगे जब अगली बार हमें दुख-दर्द हो तो याद रखें,‘यह समय भी बीत जाएगा।’ आखिर में उन्होंने कहा कि हम यह न भूलें कि जिन हालात से हम सब गुजर रहे हैं, वे हमेशा ऐसे ही नहीं रहेंगे। हम इन हालात से बाहर अवश्य निकलेंगे। यदि हम शांतचित्त होकर प्रतिदिन परमात्मा का स्मरण करेंगे, तो हम जिंदगी के इस क्षणिक दौर में विचलित नहीं होंगे। हम शांति एवं स्थिरता से पूर्ण एक ऐसा स्थान पा लेंगे, जहां बाहरी उथल-पुथल के बावजूद हम सदा की खुशी पा सकेंगे।