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बैंगलोर

रिपोर्ट : बेलंदूर झील की सफाई है महज दिखावा

बेलंदूर झील का निरीक्षण करने के बाद कहा है कि बेंगलूरु विकास प्राधिकरण (बीडीए) द्वारा झील की सफाई के लिए अपनाई गई प्रक्रिया से न सिर्फ झील का पानी खराब हो सकता है बल्कि भविष्य में झील के तबाह होने का खतरा है।

बैंगलोरJun 15, 2018 / 04:54 am

शंकर शर्मा

रिपोर्ट : बेलंदूर झील की सफाई है महज दिखावा

रिपोर्ट : बेलंदूर झील की सफाई है महज दिखावा

बेंगलूरु. राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) द्वारा स्थापित तीन सदस्यीय स्वतंत्र आयोग ने गंभीर रूप से प्रदूषित बेलंदूर झील का निरीक्षण करने के बाद कहा है कि बेंगलूरु विकास प्राधिकरण (बीडीए) द्वारा झील की सफाई के लिए अपनाई गई प्रक्रिया से न सिर्फ झील का पानी खराब हो सकता है बल्कि भविष्य में झील के तबाह होने का खतरा है।


बेलंदूर झील के संरक्षण पर अपने आदेशों के अनुपालन की जांच के लिए एनजीटी द्वारा नियुक्त निरीक्षण आयोग ने 329 पृष्ट की एक रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में राज्य सरकार और इसकी एजेंसियों को समाज के प्रति अपने दायित्वों और कर्तव्यों के निर्वहन में बुरी तरह विफल करार दिया गया है। आयोग ने ३१ मई को अपनी रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें कहा है कि झील की भंडारण क्षमता में 71.45 प्रतिशत कमी हो गई है और मौजूदा समय में झील की कुल भंडारण क्षमता का केवल 28 .55 प्रतिशत ही उपलब्ध है। झील का ६० प्रतिशत हिस्सा जलकुंभी से भरा हुआ है और रिपोर्टमें कहा गय है कि निकट भविष्य में झील को पूरी तरह से जलकुंभी मुक्त करने के आसार नहीं दिखते।


रिपोर्ट में कहा गया है कि झील को पुनर्जीवित और संरक्षित करने की दिशा में जो प्रयास किए गए हैं वे नाकाफी हैं। मौजूदा समय में हर दिन १८३ एमएलडी (मिनियन लीटर प्रतिदिन) सीवेज झील में बहाया जा रहा है। साथ ही झील के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित ८७३ इमारतों में से मात्र ४९६ ने अपने यहां सीवेज प्रसंस्करण संयंत्र (एसटीपी) की स्थापना की है।


आयोग में अधिवक्ता राज पंजवाणी, राहुल चौधरी और सुमीर सोढी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएस) के एक प्रोफेसर, बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका के आयुक्त, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक, कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी) के सचिव ने १४ और १५ अप्रैल को अगरा, बेलंदूर और वरतूर झीलों का दौरा किया था।


रिपोर्ट में कहा गया कि १९ अप्रैल को स्थानीय तहसीलदार की ओर से जारी प्रमाणपत्र में कहा गया कि झील का क्षेत्रफल ९०६ एकड़ और १९ गुंटा है जबकि करीब डेढ़ महीने के बाद मौजूदा समय में इसका क्षेत्रफल ८९५ एकड़ और १९ गुंटा सामने आया है। आयोग ने यह भी पाया कि आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों में उचित पृथक्करण और ठोस अपशिष्ट के निपटारे के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है।


बीडीए द्वारा बेलंदूर झील को जलकुंभी मुक्ति करने की चल रही प्रक्रिया पर रिपोर्ट में कहा गया है कि एक ओर हजारों टन जलकुंभी को झील से निकाला जा रहा है, लेकिन दूसरी ओर उसे कम्पोज करने की कोई उचित व्यवस्था नहीं गई है। नतीजा है कि हजारों टन जलकुंभी अपशिष्ट दोबारा झील में मिल रहा है जो झील में गाद बढ़ाने का काम कर रहा है। इसी प्रकार झील सफाई को लेकर अपनाए गए कुछ अन्य विकल्पों पर भी चिंता जताते हुए कहा गया कि इससे भविष्य में झील तबाह हो सकता है।

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