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बैंगलोर

केएआरडी ने लगाया गैर-कोविड मरीजों को उपचार से वंचित करने का आरोप

– कहा, श्रमिकों के रूप में हो रहा पीजी चिकित्सकों का इस्तेमाल- सात माह से नहीं मिला कोविड भत्ता

बैंगलोरApr 17, 2021 / 10:14 am

Nikhil Kumar

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बेंगलूरु. कर्नाटक रेजिडेंट चिकित्सक संघ (केएआरडी) ने राज्य सरकार पर गैर-कोविड मरीजों को उपचार से वंचित करने का आरोप लगाया है।

केएआरडी (Karnataka Association of Resident Doctors) डॉ. दयानंद सागर ने कहा कि महामारी के एक साल बाद भी मानव संसाधन नहीं बढ़ाए गए। चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं हुई। बेंगलूरु मेडिकल कॉलेज को छोड़कर शहर में आइसीयू व वेंटिलेटर आदि सुविधाओं से पूर्ण एक भी कोविड देखभाल केंद्र (सीसीसी) नहीं है। ज्यादातर सीसीसी की जिम्मेदारी भी चिकित्सकों के कंधों पर है।

उन्होंने आरोप लगाया कि जहां पीजी चिकित्सक कार्यरत हैं वहीं कोविड बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जा रही है। सस्ते श्रमिकों के रूप में पीजी चिकित्सकों का उपयोग हो रहा है। बार-बार अपील के बावजूद सात माह से कोविड भत्ता तक नहीं मिला है।

मेडिकल कॉलेजों में शिक्षण गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। गत वर्ष भी चिकित्सा विद्यार्थियों को इसी स्थिति का सामना करना पड़ा था। जहां तक संभव हो गैर शैक्षणिक अस्पतालों में कोविड मरीजों का उपचार हो और उपचार के लिए ज्यादा से ज्यादा गैर शैक्षणिक रेजिडेंट व कनिष्ठ चिकित्सकों को शामिल किया जाए।

चिकित्सा के विद्यार्थी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि इस बार वे प्रशिक्षण से वंचित नहीं हों। महामारी के पहले वर्ष 2019 में विक्टोरिया अस्पताल में ही हर माह करीब 70 हजार आउट पेशेंट और 4,000 इन पेशेंट का उपचार होता था। हर महीने 1500 बड़े और 3,000 छोट ऑपरेशन होते थे।

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