उन्होंने आरोप लगाया कि जहां पीजी चिकित्सक कार्यरत हैं वहीं कोविड बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जा रही है। सस्ते श्रमिकों के रूप में पीजी चिकित्सकों का उपयोग हो रहा है। बार-बार अपील के बावजूद सात माह से कोविड भत्ता तक नहीं मिला है।
मेडिकल कॉलेजों में शिक्षण गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। गत वर्ष भी चिकित्सा विद्यार्थियों को इसी स्थिति का सामना करना पड़ा था। जहां तक संभव हो गैर शैक्षणिक अस्पतालों में कोविड मरीजों का उपचार हो और उपचार के लिए ज्यादा से ज्यादा गैर शैक्षणिक रेजिडेंट व कनिष्ठ चिकित्सकों को शामिल किया जाए।
चिकित्सा के विद्यार्थी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि इस बार वे प्रशिक्षण से वंचित नहीं हों। महामारी के पहले वर्ष 2019 में विक्टोरिया अस्पताल में ही हर माह करीब 70 हजार आउट पेशेंट और 4,000 इन पेशेंट का उपचार होता था। हर महीने 1500 बड़े और 3,000 छोट ऑपरेशन होते थे।