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बैंगलोर

वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में राजस्व संग्रहण 17 फीसदी गिरा

आर्थिक मंदी की मार से कराहता राजस्व

बैंगलोरDec 15, 2019 / 06:39 pm

Saurabh Tiwari

वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में राजस्व संग्रहण 17 फीसदी गिरा

वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में राजस्व संग्रहण 17 फीसदी गिरा

बेंगलूरु. आर्थिक मंदी को लेकर व्यक्त की जा रही आशंकाएं अब सरकारी आंकड़ों में भी दिखने लगी हैं। रियल एस्टेट क्षेत्र में चल रही गिरावट के कारण मौजूदा वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में राज्य का राजस्व तय लक्ष्य से काफी पीछे चल रहा है।
राजस्व संक्रहण में आई इस कमी का मूल कारण निर्माण और संपत्ति के क्षेत्र में ज्यादा व्यापार नहीं होने को माना जा रहा है। राजस्व संग्रहण की चिंता अब राज्य सरकार को भी सता रही है। यही कारण है कि राजस्व लक्ष्य पूरा करने के मकसद से पिछले महीने सरकार ने 146 सब-रजिस्ट्रार कार्यालय को पत्र लिखा। इन कार्यालयों का राजस्व संग्रहण इस वित्त वर्ष में अप्रैल से अक्टूबर तक 17 प्रतिशत तक कम रहा है। सरकार की मूल चिंता यह भी है कि लक्ष्य से पीछे रहने वाले 146 सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों में से 33 बेंगलूरु के जबकि चार बेंगलूरु ग्रामीण हैं, जबकि बेंगलूरु में ही सर्वाधिक राजस्व संग्रहण होता है। इसी प्रकार राजस्व संग्रहण में दूसरे पायदान पर रहने वाले मैसूरु में भी 13 कार्यालय लक्ष्य से पीछे हैं।
बेंगलूरु के बाहरी इलाके में दोड्डबल्लापुर में का राजस्व संग्रहण सबसे चिंताजनक है, जहां 35 प्रतिशत की गिरावट आई है। दोड्डबल्लापुर को सबसे तेजी से विकसित होते रियल एस्टेट क्षेत्र के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन राजस्व संग्रहण में गिरावट अब भविष्य की योजनाओं के लिए चिंता का कारण बन सकता है।

वहीं शहरी इलाके में शिवाजीनगर कार्यालय का संग्रहण सिर्फ एक प्रतिशत कम है। स्टाम्प एवं पंजीयन विभाग की ओर से उप-पंजीयकों को लिखे पत्र में संपत्तियों के मूल्यांकन की चिंताओं को भी उठाया है। इसमें कहा गया है कि संपत्तियों का मूल्यांकन मार्गदर्शन मूल्य से कम होने और दस्तावेजों के गलत वर्गीकरण के कारण राजस्व संग्रहण प्रभावित हो रहा है।
दस्तावेजों के गलत वर्गीकरण से सरकारी खजाने को नुकसान पहुंच सकता है। यदि किसी वाणिज्यिक संपत्ति के दस्तावेज आवासीय के रूप में वर्गीकृत हैं तो इससे राजस्व संग्रहण प्रभावित होता है। इसलिए ऐसी संपत्तियों का पुनर्निर्धारण करने पर जोर दिया गया है।
रेरा जैसे प्रावधानों से बढ़ी उलझन
रियल एस्टेट व्यापार विशेषज्ञों की मानें तो राजस्व संग्रहण कम होने के कई कारण हैं। आर्थिक मंदी और निवेश के लिए भरोसेमंद बाजारी हालात नहीं होने के साथ ही रियल एस्टेट क्षेत्र भी कई चुनौतियां झेल रहा है। उदाहरण के तौर पर रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा) आने से अब पूरा कारोबार नियमबद्ध हो गया। हालांकि इसका प्रभाव छोटे डेवलपरों पर हुआ है। पहले वे सीधे नकद हस्तांतरण के माध्यम से कारोबार करते थे, लेकिन रेरा के प्रावधानों के कारण अब निर्माण समयसीमा की गारंटी देनी होती है। इसलिए छोटे डेवलपर संपत्तियों को रेरा के तहत पंजीयन तब कराते हैं, जब निर्माण कार्य का काफी काम पूरा हो जाता है। इससे खरीददार देर से मिलते हैं, राजस्व प्रभावित होता है। साथ ही कमजोर मुद्रास्फीति, आर्थिक मंदी, टैक्स छूट का नहीं होना, नौकरी पेशेवरों के रोजगार में अनिश्चितता आदि कई कारण हैं, जिस वजह से संपत्ति कारोबार प्रभावित हुआ है और अंतत: सरकार के स्टाम्प एवं पंजीयन विभाग का राजस्व संग्रहण कम हो गया है।

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