दिवाली पर मनाया ‘तिहार’
मैसूरु के मानसरोवर पुष्करिणी विद्याश्रम की छात्रा रिया सोलंकी ने कहा-‘वैसे तो अक्टूबर त्योहारों का वक्त था, लेकिन हमने सोचा कि बाहर उत्सव मनाया जाए और देखें कि क्या अंतर होता है। नेपाल में दीपावली को ‘तिहार’ के रूप में मनाते हैं। हमने आयरनमैन के नाम से पहचाने जाने वाले मिलिंद सोमन और दल के साथ नामचे बाजार में खुशियां मनाईं। इस दौरान बहुत से स्थानीय बच्चे और लोगों ने हमारे साथ नृत्य किया, पकवानों का लुत्फ उठाया।’
यूं मिलता गया साथ
पर्वतारोही दल में शुरुआती दौर में कर्नाटक, केरल और तेलंगाना के ९ सदस्य थे, जो गत १४ अक्टूबर को काठमांडू के लिए रवाना हुए। अगले ही दिन महाराष्ट्र और दिल्ली के १७ लोगों के एक और दल का साथ मिला। यह दल छोटे वायुयानों में सवार होकर दिल्ली से नेपाल के लुकला हवाईअड्डे पर उतरा। लुकला को विश्व के सबसे महत्वपूर्ण मगर खतरनाक हवाई अड्डों में गिना जाता है।
ऐसे शुरू हुआ सफर
‘टाइगर’ नाम से पहचाने जाने वाले उसके पिता डीएसडी सोलंकी ने बताया कि २०१३ में जब रिया ८ वर्ष की थी तब उसने माउण्ट सूर्या पर फतह पाई थी और फिर पीछे मुडक़र नहीं देखा। वह २०१४ में सौरकुंडी पर्वत दर्रा, २०१५ में माउंट रुमटू, २०१६ में माउंट केदारकण्ठ, २०१७ में माउंट तुंदा भुज तक पहुंची। चार साल का यह परिश्रम माउंट एवरेस्ट के आधार शिविर तक जाने के लिए था, जो नेपाल की हिमालयन रेंज में १७६०० फीट की ऊंचाई पर स्थित है और अक्टूबर में उन्होंने यह कर दिखाया।
…आखिर शुरू हुई चढ़ाई
एवरेस्ट आधार शिविर तक जाने के लिए करीब ६० किलोमीटर की चढ़ाई के दौरान भूस्खलन, लटकते पुल, शरीर को गला देने वाली सर्दी जैसी कठिनाइयों के साथ बर्फीले दर्रे और चट्टानी रास्ते पार कर मंजिल तक पहुंचे। दल के कुछ सदस्यों की जब तस्वीरें खींची जा रही थीं तो आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े। यहां हमने मैसूरु की प्रसिद्ध मिठाई भी खाई, जो वीणा अशोक द्वारा दी गई थी।
पिता के पदचिह्नों पर बेटी
डी एस डी ने बताया कि वे सीरवी समाज से हैं। वे मूलत: पाली जिले के जैतारण निवासी हैं। उनके पिता सुराराम सोलंकी आजीविका के लिए १९६० के दशक में मैसूरु आए और यहां व्यवसाय स्थापित किया। डीएसडी को १९८७ में पर्वतारोहण का जुनून सवार हुआ। तब से वे इसमें रमे हुए हैं। सिक्किम, कश्मीर और लद्दाख की हिमालय पर्वतमाला में अब तक ४० से अधिक अभियान कर चुके हैं। अब पुत्री रिया भी अल्प वय में उनके पद चिह्नों पर चल पड़ी है।